जापान के ओकायामा विश्वविद्यालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दी मानद डी.लिट की उपाधि

12 Nov 2025 19:51:00
ममता बनर्जी


कोलकाता, 12 नवम्बर (हि.स.)। महिला सशक्तिकरण में उल्लेखनीय योगदान के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जापान के ओकायामा विश्वविद्यालय ने मानद डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया है। बुधवार को कोलकाता के अलीपुर स्थित धनधान्य ऑडिटोरियम में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने यह सम्मान ‘मां, माटी, मानुष’ को समर्पित किया।

कार्यक्रम के मंच से ममता बनर्जी ने जापान और बंगाल के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “जापान शांति, सद्भाव और संस्कृति का प्रतीक है। ओकायामा विश्वविद्यालय का यह सम्मान मेरे लिए गर्व की बात है। विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र-छात्रा के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल और जापान के विश्वविद्यालय एक साथ कार्य कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के शिक्षक और विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले सात वर्षों से जापान के प्रतिनिधि बंगाल के उद्योग सम्मेलन में भाग ले रहे हैं और उम्मीद जताई कि आगामी ‘विश्व बंगाल उद्योग सम्मेलन’ में ओकायामा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

ममता ने अपने संबोधन में कहा कि “रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानंद, रासबिहारी बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महान भारतीयों का जापान से गहरा संबंध रहा है। इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता।” उन्होंने यह भी बताया कि शांतिनिकेतन में जापान के सहयोग से एक इकाई कार्यरत है, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि जापानी प्रतिनिधियों ने स्वयं उन्हें समारोह में आने का आमंत्रण दिया था। ममता ने कहा, “मुझे कहा गया कि यदि आप जापान नहीं आएंगी तो हम भारत आएंगे। ऐसे स्नेहपूर्ण आमंत्रण को कैसे ठुकराया जा सकता है? यह राजनीतिक नहीं, बल्कि एक मानवीय संबंध है।”

उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे अगले वर्ष जापान का दौरा करेंगी। राज्य में औद्योगिक प्रगति का उल्लेख करते हुए ममता ने कहा कि “मित्सुबिशी, टाटा, जाइका जैसे कई विदेशी समूह बंगाल में निवेश कर रहे हैं। सिलिकॉन वैली और वेबेल-फूजी जैसी कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं। जापान ने हिरोशिमा और नागासाकी जैसी त्रासदी के बाद भी जिस तरह खुद को पुनर्निर्मित किया, वह दुनिया के लिए प्रेरणादायक है।”

अपने भाषण के अंत में ममता बनर्जी ने कहा कि तमाम सम्मानों के बावजूद वे “वीआईपी नहीं बल्कि एलआईपी यानी आम इंसान की तरह” जीवन जीना चाहती हैं। अपने वक्तव्य का समापन उन्होंने ‘जय बंगला’ के नारे से किया।-----------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

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