जेल तोड़कर भागे कैदियों और लूटे गए हथियारों से सुरक्षा चुनौती बढ़ी, नेपाल ने भारत से मांगी मदद

12 Nov 2025 18:03:00
नई दिल्ली में जारी नेपाल भारत सुरक्षा समन्वय बैठक


काठमांडू, 12 नवंबर (हि.स.)। सशस्त्र पुलिस महानिरीक्षक राजु अर्याल ने बुधवार से नई दिल्ली में शुरू हुई नेपाल–भारत सीमा सुरक्षा समन्वय बैठक में कहा कि नेपाल में जेन-जी आंदोलन के दौरान फरार कैदियों और लूटे गए हथियारों के कारण सुरक्षा चुनौती बढ़ी है। उन्होंने भारत से जांच में सहयोग करने और जेल तोड़कर भागे कैदियों और पुलिस बैरक व कार्यालयों से लूटे गए हथियारों को नियंत्रित करने में भारत से मदद मांगी है।

नेपाल–भारत सीमा सुरक्षा समन्वय बैठक में भाग लेने के लिए महानिरीक्षक अर्याल के नेतृत्व में आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को दिल्ली पहुंचा था। बुधवार से शुरू हुई सीमा सुरक्षा बैठक के दौरान अर्याल ने अपने भारतीय समकक्ष सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के महानिदेशक संजय सिंघल से मुलाकात में यह मुद्दा औपचारिक रूप से उठाया। बैठक में उपस्थित एक नेपाली अधिकारी के अनुसार सिंघल ने इस बात को स्वीकार किया कि यह स्थिति दोनों देशों के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती है और उन्होंने नेपाल को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

बैठक में उन्होंने बताया कि 9 सितंबर को देशभर की २८ जेलों और सुधार गृहों से कुल १४,०४३ कैदी फरार हुए थे, जिनमें से अब तक ५,००० से अधिक को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। इन फरार कैदियों में ५२० भारतीय नागरिक और ९९ तीसरे देशों के नागरिक शामिल हैं। अनुमान है कि इनमें से कई भारतीय और विदेशी कैदी स्थल मार्ग से भारत भाग गए हैं और वहां छिपे हो सकते हैं। इस पर चिंता जताते हुए महानिरीक्षक अर्याल ने भारत से गंभीरता से जांच में सहयोग करने का आग्रह किया।

एसएसबी महानिदेशक संजय सिंघल ने कहा कि यह मामला दोनों देशों की सुरक्षा के लिए एक साझा चुनौती है और भारतीय पक्ष इसे अत्यंत गंभीरता से ले रहा है। सीमा सुरक्षा समन्वय बैठक में कई साझा मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन साइडलाइन वार्ता में कैदीबंदियों के फरार होने और हथियारों की लूट के मामले को विशेष रूप से उठाया गया। भारतीय पक्ष ने भी अपने स्तर से फरार व्यक्तियों की खोज और हथियारों की बरामदगी में सहयोग का वचन दिया।

सीमा सुरक्षा समन्वय बैठक बुधवार से शुरू होकर शुक्रवार तक जारी रहेगी। नेपाल की ओर से इस बैठक में गृह मंत्रालय, नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और परराष्ट्र मंत्रालय के अधिकारी शामिल हो रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास

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