
जोधपुर, 12 नवम्बर (हि.स.)। पश्चिम राजस्थान के बॉर्डर जोन जैसलमेर के रेगिस्तान में बने दुश्मन के ठिकानों पर बुधवार को भारतीय सेना के जवानों ने हेलिकॉप्टर से उतरकर तबाही मचाई। ध्रुव, रूद्र, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर ने जवानों को कवर दिया। जवानों ने अचूक निशाना लगाया और दुश्मन का खात्मा कर दिया।
देश की पश्चिमी बॉर्डर पर तीनों सेनाओं का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल बुधवार को अखंड प्रहार के तहत हेलिबोर्न ऑपरेशन के साथ पूरा हुआ। इस दौरान वायु और थल सेना ने जैसलमेर में अभ्यास किया, वहीं गुजरात के कच्छ में नौसेना ने युद्धाभ्यास किया। तेरह दिन तक चले युद्धाभ्यास में करीब 30 हजार सैनिक शामिल हुए। युद्धाभ्यास में डीआरडीओ और निजी भारतीय कंपनियों की बनाई मशीनरी और ड्रोन का उपयोग किया गया, जिनसे आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखाई दी। इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ (जीओसी-इन-सी, सदर्न कमांड) ने कहा कि भारतीय सेना फ्यूचर के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हमने एक रूद्र ब्रिगेड तैयार की है। इसमें इंजीनियर, साइबर , ड्रोन एक्सपर्ट सभी तरह से वैल मेकेनाइज्ड है। यह दुश्मन से अकेले ही निपटने में सक्षम होगी।
पहली बार नेक्स्ट लेवल की टेक्नोलॉजी का उपयोग
युद्धाभ्यास में दुश्मन की निगरानी और टोही क्षमताओं को बाधित करने के लिए स्वदेशी ड्रोन-आधारित टोही और ड्रोन विरोधी तकनीक का उपयोग किया गया। एआई की ओर से समर्थित लक्ष्य समाधानों का उपयोग किया गया, जो युद्ध क्षेत्र की जानकारी को संसाधित करके जवानों को वास्तविक समय में सटीक लक्ष्य प्रदान करते हैं। युद्धाभ्यास में पूरी तरह से स्वदेशी यानी मेड इन इंडिया तकनीक से बनी मशीनरी यूज की गई। कमांड पोस्ट से हर यूनिट पर नजर रखी गई। ड्रोन और सैटेलाइट से रियल-टाइम तस्वीरें स्क्रीन पर रही। सेना के अधिकारियों ने कहा- सभी कुछ एकदम सटीक किया गया, एक गलती की भी गुंजाइश नहीं रखी गई। नेटवर्क, सेंसर और सटीक समन्वय से हमला किया गया। सेना के अधिकारियों के अनुसार जमीन, हवा, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में एक साथ तालमेल बिठाते हुए दुश्मन को किसी भी दिशा से जवाब देने की तैयारी को परखा गया। सीमा पार से संभावित घुसपैठ, ड्रोन ,मिसाइल हमले, साइबर रुकावट को टारगेट पर रखकर जवाबी कार्रवाई की गई।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश