नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. साहू का संयुक्त शोध पत्र प्रकाशित

13 Nov 2025 18:51:00
प्रो. नंद गोपाल साहू।


एल्सेवियर प्रकाशन के विश्व-प्रसिद्ध जर्नल रिन्युएबल एंड सस्टेनेबल एनर्जी रिव्यूज में प्रकाशित प्रो. साहू का शोध पत्र।


नैनीताल, 13 नवंबर (हि.स.)। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो.नंद गोपाल साहू ने नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो.कोस्त्या एस नोवोसेलोव के साथ संयुक्त शोध कर देश का मान बढ़ाया है। दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित उच्च-स्तरीय समीक्षा अध्ययन में फेंके गए प्लास्टिक को उन्नत नैनो कार्बन पदार्थों में बदलकर ऊर्जा भंडारण उपकरणों में उपयोग की संभावनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमता, नवाचार और सुदृढ़ शोध परंपरा को नई पहचान प्रदान करता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह समीक्षा अध्ययन एल्सेवियर प्रकाशन के विश्व-प्रसिद्ध जर्नल रिन्युएबल एंड सस्टेनेबल एनर्जी रिव्यूज में प्रकाशित हुआ है। इसका प्रभाव कारक 16.3 है, जो इसकी वैज्ञानिक गुणवत्ता को दर्शाता है। लेख का शीर्षक “फंक्शनल नैनोकार्बन्स फ्रॉम वेस्ट प्लास्टिक्स फॉर एनर्जी स्टोरेज एप्लिकेशंस” है। इसके लेखक प्रो.साहू और प्रो.नोवोसेलोव तथा उनके विद्यार्थी चेतना तिवारी, कुंदन रावत, यंगनम किम, तनुजा आर्या, सुनील ढाली, श्रवेंद्र राणा, दारिया वी आंद्रेएवा, बारबारोस ओजयिलमाज, रेमी महफूज, नादा करी व योंग चाए जंग हैं।

कुमाऊँ विवि के कुलपति प्रो.दीवान रावत, कुलसचिव डॉ. एमएस मंद्रवाल, विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता तथा परिसरों के शिक्षकों ने प्रो.साहू को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। कुलपति ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल कुमाऊँ विश्वविद्यालय बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि यह शोध दर्शाता है कि वैज्ञानिक नवाचार के माध्यम से प्लास्टिक जैसी वैश्विक चुनौती को ऊर्जा समाधान में बदलकर मानवता के लिए नई दिशाएँ खोली जा सकती हैं।

शोध का प्रमुख केंद्र और वैश्विक महत्व

यह अध्ययन इस बात पर केंद्रित है कि प्लास्टिक कचरे को उन्नत नैनो कार्बन पदार्थों में परिवर्तित कर सुपरकैपेसिटर और बैटरी जैसे ऊर्जा भंडारण उपकरणों में कैसे उपयोग किया जा सकता है। समीक्षा में विभिन्न वैश्विक शोधों का विश्लेषण करते हुए बताया गया है कि प्लास्टिक अपशिष्ट से निर्मित नैनो पदार्थ ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में एक सुदृढ़, पर्यावरण-अनुकूल और दीर्घकालिक समाधान बन सकते हैं।

इससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या के समाधान के साथ स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को बढ़ावा देने का मार्ग भी प्रशस्त होता है।

नोबेल पुरस्कार विजेता की सहभागिता से बढ़ा महत्व

प्रो.नोवोसेलोव ग्रैफीन और द्वि-आयामी पदार्थों के क्षेत्र में अपने ऐतिहासिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनकी सहभागिता इस समीक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष महत्त्व प्रदान करती है। वहीं, प्रो.साहू का यह कार्य कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शोध को नई ऊँचाई देता है और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की नवाचारी क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है। वह और उनके कई छात्र नैनो कार्बन-ग्रैफीन के क्षेत्र में कई पेटेंट भी प्राप्त कर चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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