


अंबाजी मार्बल अब कानूनी रूप से संरक्षित और वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त उत्पाद
अंबाजी, 13 नवंबर (हि.स.)। गुजरात के बनासकांठा जिले का पवित्र तीर्थधाम और शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध अंबाजी अब केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि अपनी धरती से निकलने वाले शुद्ध सफेद मार्बल के कारण भी विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।
राज्य सूचना विभाग ने बताया कि अंबाजी क्षेत्र के मार्बल को भारत सरकार द्वारा “भौगोलिक संकेत” (जीआई टेग) के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। इसके साथ ही अंबाजी मार्बल अब कानूनी रूप से सुरक्षित और वैश्विक स्तर पर पहचान रखने वाला उत्पाद बन गया है। इस टैग से अंबाजी मार्बल का मान बढ़ा है और अब यह विश्व के मानचित्र पर गुजरात की नई पहचान के रूप में चमकेगा।
अंबाजी मार्बल के लिए यह पंजीकरण अंबाजी मार्बल क्वेरी एंड फैक्टरी असोसिएशन के नाम से किया गया है, जिसमें स्टोन आर्टिसन पार्क ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (सप्ती), कमिश्नर ऑफ जियोलॉजी एंड माइनिंग, और कलेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
जिला कलेक्टर मिहिर पटेल ने कहा कि जिस प्रकार पवित्र तीर्थधाम अंबाजी को शक्ति पीठ के रूप में वैश्विक पहचान प्राप्त है, उसी प्रकार अब अंबाजी मार्बल का नाम भी विश्व में उज्ज्वल रूप से लिखा गया है। अब अंबाजी श्रद्धा के साथ-साथ प्राकृतिक संपदा और औद्योगिक गौरव का प्रतीक बन गया है। अंबाजी मार्बल का मान बढ़ा है और अंबाजी का नाम अब विश्व के पत्थर उद्योग के मानचित्र पर गौरव के साथ अंकित हुआ है। इस उपलब्धि पर कलेक्टर श्री ने बनासवासियों और अंबाजी मार्बल क्वॉरी एंड फैक्ट्री एसोसिएशन को बधाई दी।
अंबाजी मार्बल का विशेष महत्व
अंबाजी क्षेत्र का मार्बल अपनी दूधिया सफेद चमक, टिकाऊपन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस मार्बल का उपयोग अंबाजी मंदिर सहित अनेक धार्मिक स्थलों, स्मारकों और भव्य इमारतों में किया जाता है। यह गुजरात की धरती की प्राकृतिक सुंदरता और पारंपरिक हस्तकौशल का प्रतीक है।
जीआई टैग क्या है? कौन देता है?
भौगोलिक संकेत (जीआई) एक प्रमाणपत्र होता है, जो किसी विशेष क्षेत्र के ऐसे उत्पाद को दिया जाता है, जो उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, मिट्टी, परंपरा या प्राकृतिक विशेषताओं से जुड़ा होता है। भारत में जीआई टैग भारत सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अंतर्गत, चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा प्रदान किया जाता है।
जीआई टैग मिलने से होने वाले लाभ
वैश्विक पहचान: “अंबाजी मार्बल” के रूप में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक अनूठी ब्रांड छवि बनेगी।
नकली उत्पादों से सुरक्षा: अन्य क्षेत्रों के मार्बल को अब अंबाजी मार्बल के नाम से नहीं बेचा जा सकेगा।
स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहन: रोजगार, खनन और फैक्ट्री क्षेत्रों में नए अवसर बढ़ेंगे।
निर्यात में वृद्धि: विदेशी बाजार में भरोसा और मांग दोनों बढ़ेंगी।
पारंपरिक कौशल का संरक्षण : स्थानीय कलाकारों और कारीगरों के हस्तकौशल को नई मान्यता मिलेगी।
भू-वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह को जीआई टैग प्रमाणपत्र देकर किया सम्मानित
भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के हस्ते बनासकांठा के भू-वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह को जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग का प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad