
भुवनेश्वर, 13 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि डायबिटीज अब सिर्फ एक चिकित्सीय स्थिति नहीं बल्कि हृदय, नसों और गुर्दों से जुड़ी जटिलताओं का पूरा स्पेक्ट्रम बन चुकी है, जो भारत के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय स्वास्थ्य चुनौती है। जितेंद्र सिंह ने विश्व मधुमेह दिवस की पूर्व संध्या पर भुवनेश्वर स्थित सीएसआईआर-आईएमएमटी में फिनोम नेशनल कॉन्क्लेव ऑन लॉन्गिट्यूडिनल कोहोर्ट स्टडीज कोहोर्ट कनेक्ट 2025 का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम भारत में बीमारियों के जीन, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों पर आधारित अब तक का सबसे बड़ा साक्ष्य आधारित अध्ययन बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य डेटा को एकत्र कर भारत केंद्रित रोकथाम और उपचार रणनीतियों का निर्माण करना है। डॉ सिंह ने कहा कि भारत की लड़ाई डायबिटीज जैसी बीमारियों से तभी सफल होगी जब भारतीय डेटा से भारतीय समाधान तैयार किए जाएं। पहले डायबिटीज को दक्षिण भारत तक सीमित माना जाता था, लेकिन अब यह जीवनशैली और पर्यावरणीय बदलावों के कारण पूरे देश में फैल चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत एक साथ संक्रामक और गैर संक्रामक रोगों से जूझ रहा है, इसलिए नीति निर्माण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। भारत की फेनोटाइपिक विशिष्टता को दशकों से माना जाता रहा है, लेकिन अब सीएसआईआर की फिनोम इंडिया पहल और लॉन्गिट्यूडिनल कोहोर्ट स्टडीज के माध्यम से वैज्ञानिक आधार पर इसे सिद्ध किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत और विदेशों में रहने वाले भारतीयों में भी मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स की प्रवृत्ति समान देखी जाती है, जो आनुवंशिक कारणों की ओर इशारा करती है। डॉ सिंह ने चिकित्सा इतिहास का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह पहले रिफाइंड ऑयल को हृदय के लिए सुरक्षित बताया गया था और बाद में वही हृदय रोग का कारण निकला, उसी प्रकार किसी भी नई तकनीक या दवा को अपनाने से पहले भारतीय संदर्भ में दीर्घकालिक अध्ययन जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अब तक 10 हजार मानव जीनोम सीक्वेंस पूरे कर लिए हैं और जल्द ही एक मिलियन जीनोम सीक्वेंसिंग का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। इसके साथ ही भारत ने स्वदेशी फैक्टर 8 पर हेमोफिलिया ट्रायल में सफलता हासिल की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में डेंगू, मलेरिया और टीबी जैसी बीमारियों के टीके विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है। वहीं, एआई आधारित डायग्नोस्टिक्स, डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म और क्वांटम तकनीक देश के चिकित्सा तंत्र का हिस्सा बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की 70 प्रतिशत आबादी 40 वर्ष से कम आयु की है, इसलिए भविष्य की स्वास्थ्य रणनीति में रोकथाम को केंद्र में रखना होगा। कोहोर्ट स्टडी इकोसिस्टम से मिलने वाला डेटा भारत केंद्रित रोकथाम, निदान और उपचार की दिशा तय करेगा। कार्यक्रम में सीएसआईआर-आईएमएमटी के निदेशक डॉ रामानुज नारायण, सीएसआईआर-आईजीआईबी के डॉ मइती, डॉ कूटी, डॉ देबाशीष समेत कई वरिष्ठ वैज्ञानिक और मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे। उन्होंने फिनोम इंडिया लॉन्गिट्यूडिनल कोहोर्ट के उद्देश्यों और आगामी राष्ट्रीय सम्मेलन कोहोर्ट कनेक्ट 2025 की रूपरेखा साझा की। --------------
हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर