एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों के 597 छात्रों ने जेईई और नीट जैसी कठिन परीक्षाओं में सफलता पाई

13 Nov 2025 13:32:01
चित्र 1- नेगी, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सांगला गांव का है जो वृहत हिमालय में तिब्बत की सीमा के नजदीक है। तस्वीर सांगला से बीस किलोमीटर दूर छितकुल गांव का है।


नई दिल्ली, 13 नवंबर (हि.स.)। देश के दूर-दराज के आदिवासी इलाकों से निकलकर शिक्षा की नई मिसाल पेश करते हुए एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों (ईएमआरएस) के 597 छात्रों ने वर्ष 2024-25 में देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं- जेईई मेन, जेईई एडवांस्ड और नीट में सफलता हासिल की है। वर्ष 2022-23 में जहां मात्र दो छात्रों ने इन परीक्षाओं को पास किया था, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 597 तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रतिस्पर्धी परीक्षा प्रशिक्षण से जोड़ने के प्रयासों का बड़ा परिणाम है।

ईएमआरएस के 230 विद्यालयों में से जहां कक्षा 12 तक की पढ़ाई होती है, उनमें से 101 स्कूलों के छात्रों ने इस वर्ष आईआईटी और मेडिकल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पाया है।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सांगला गांव के जतिन नेगी ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद जेईई एडवांस्ड में ऑल इंडिया रैंक 421 हासिल की और अब वह आईआईटी जोधपुर में बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। कठोर सर्दियों, बिजली कटौती और सीमित संसाधनों के बीच पढ़ाई करने वाले जतिन की कहानी यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और संकल्प से सफलता की कोई सीमा नहीं होती।

जतिन बताते हैं, “हमारे गांव में दो-दो महीने तक बिजली नहीं रहती थी। रात में सोलर लैंप की रोशनी में पढ़ना पड़ता था, लेकिन ईएमआरएस के शिक्षकों ने हमें नियमित परीक्षा और प्रतिस्पर्धी माहौल में पढ़ाई की आदत डाली, जिससे आत्मविश्वास बढ़ा।”

गुजरात के तापी जिले के खपाटिया गांव की पदवी उर्जस्वीबेन अमृतभाई ने समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए नीट परीक्षा में 11,926वीं रैंक हासिल की और अब जूनागढ़ के जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। चार बहनों में से एक पदवी कहती हैं, “लोग कहते थे बेटियां कुछ नहीं कर सकतीं, लेकिन मैंने साबित कर दिया कि मेहनत से सब संभव है। अब मैं डॉक्टर बनकर गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हूं।”

वर्ष 2024-25 में सबसे अधिक छात्र गुजरात (173), मध्य प्रदेश (115) और छत्तीसगढ़ (18) से नीट परीक्षा में सफल हुए हैं। वहीं जेईई मेन में सबसे अधिक छात्र तेलंगाना (60), मध्य प्रदेश (51) और गुजरात (37) से चयनित हुए। कुल मिलाकर 219 छात्रों ने जेईई मेन, 34 ने जेईई एडवांस्ड और 344 ने नीट परीक्षा पास की। तीन वर्षों की तुलना में यह उपलब्धि ऐतिहासिक है। वर्ष 2022-23 में केवल दो छात्र सफल हुए थे, 2023-24 में यह संख्या 22 तक पहुंची और 2024-25 में 597 छात्र इन कठिन परीक्षाओं में सफल हुए हैं।

शिक्षा के माध्यम से सशक्तीकरण की दिशा में कदम

जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्थापित एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) अनुसूचित जनजाति (एसटी) छात्रों को नि:शुल्क, गुणवत्तापूर्ण, सीबीएसई-संबद्ध शिक्षा प्रदान करते हैं। इन स्कूलों में छात्रों को न केवल पढ़ाई बल्कि खेल, तकनीकी शिक्षा, डिजिटल लर्निंग और कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। देशभर में अब तक 722 ईएमआरएस स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 485 स्कूल वर्तमान में क्रियाशील हैं। वर्ष 2024-25 में इन स्कूलों में 1,38,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं। मंत्रालय ने इनके निर्माण और संचालन के लिए संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत राज्यों को 68,418 लाख रुपये की सहायता दी है।

संवैधानिक और कानूनी समर्थन

संविधान का अनुच्छेद 46 राज्य को निर्देश देता है कि वह समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा दे। अनुच्छेद 15(4) और 15(5) के तहत राज्य को पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जनजातियों के लिए शिक्षा में विशेष प्रावधान करने की अनुमति है। इसी उद्देश्य से केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 लागू किया गया, जिसके तहत केंद्रीय संस्थानों में एसटी वर्ग के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया है।

विशेष शैक्षणिक सहायता कार्यक्रम

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समाज द्वारा संचालित विभिन्न पहलें छात्रों को प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी में सहायता प्रदान कर रही हैं।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: भोपाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में आईआईटी-जेईई और नीट कोचिंग के लिए केंद्र स्थापित।

डिजिटल ट्यूटरिंग: पूर्व नवोदयन फाउंडेशन और पेस आईआईटी और मेडिकल के माध्यम से ऑनलाइन कोचिंग।

आईहब दिव्यसंपर्क (आईआईटी रूड़की): विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाएं।

स्मार्ट क्लास और डिजिटल कंटेंट: ईआरनेट व एमईआईटीवाई के सहयोग से डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा।

अटल टिंकरिंग लैब्स और स्किल लैब्स: स्टेम शिक्षा और व्यावसायिक कौशल विकास पर फोकस।

‘तलाश’ कार्यक्रम: छात्रों की योग्यता और रुचि के आधार पर करियर मार्गदर्शन और परामर्श।

परिणामस्वरूप बदलाव

ईएमआरएस में शिक्षा प्राप्त कर रहे आदिवासी छात्र अब आत्मविश्वास के साथ न केवल बोर्ड परीक्षाओं में बल्कि देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता हासिल कर रहे हैं। यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि जब शिक्षा सुलभ और गुणवत्तापूर्ण होती है, तो सामाजिक और भौगोलिक सीमाएं भी प्रतिभा को नहीं रोक सकतीं।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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