
- लगभग 30 हजार सैन्यकर्मियों, कई लड़ाकू विमानों और 25 नौसैनिक जहाजों ने किया प्रदर्शन
नई दिल्ली, 13 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान के रेगिस्तानी और गुजरात के खाड़ी क्षेत्रों में चल रहे तीनों सेनाओं के संयुक्त अभ्यास 'त्रिशूल' का गुरुवार को समापन हो गया। लगभग 30 हजार सैन्यकर्मियों, कई लड़ाकू विमानों और 25 नौसैनिक जहाजों व पनडुब्बियों के साथ त्रि-सेवा अभ्यास में संयुक्त परिचालन शक्ति का प्रदर्शन किया गया। बहु-क्षेत्रीय अभियान की समीक्षा के लिए तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी सौराष्ट्र तट पर विमानवाहक पोत आईएनएस 'विक्रांत' पर सवार हुए।
भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के शीर्ष कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और एयर मार्शल नागेश कपूर ने बुधवार रात को विमानवाहक पोत से उड़ान संचालन को देखा। भारतीय नौसेना ने भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ संयुक्त रूप से नवंबर की शुरुआत में यह अभ्यास शुरू किया था। इसका नेतृत्व पश्चिमी नौसेना कमान के साथ-साथ भारतीय थल सेना की दक्षिणी कमान और भारतीय वायु सेना की दक्षिण-पश्चिमी वायु कमान ने प्रमुख रूप से किया।
इस अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के खाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अभियान और उत्तरी अरब सागर में उभयचर अभियानों सहित समुद्री क्षेत्र शामिल थे। भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने भी इस अभ्यास में भाग लिया, जिससे अंतर-एजेंसी समन्वय और एकीकरण अभियानों को बल मिला। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच तालमेल बढ़ाना और तीनों सेनाओं में बहु-क्षेत्रीय एकीकृत परिचालन प्रक्रियाओं का सत्यापन और समन्वय करना था, जिससे संयुक्त प्रभाव-आधारित अभियानों को संभव बनाया जा सके।
पिछले दो हफ्तों में त्रिशूल अभ्यास के व्यापक ढांचे के तहत थार रेगिस्तान से लेकर कच्छ क्षेत्र तक समन्वित युद्धाभ्यास किए गए। इस विशाल अभ्यास का समापन गुरुवार को दक्षिणी कमान के उभयचर बलों के नेतृत्व में गुजरात के तट पर एक उभयचर लैंडिंग के साथ हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने कहा कि त्रिशूल अभ्यास के तहत नए हथियारों, सैन्य उपकरणों और प्रक्रियाओं को मान्यता दी गई, जबकि दक्षिणी कमान ने इसे संयुक्तता, एकीकरण और अंतर-संचालन में एक मानक बताया। तीनों सेनाओं के इस अभ्यास का उद्देश्य कई क्षेत्रों में एकीकृत तत्परता को मजबूत करना था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, साइबर सुरक्षा, ड्रोन-रोधी अभियान, खुफिया जानकारी और निगरानी जैसे क्षेत्र शामिल रहे।
नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के वाहक अभियानों को भारतीय वायुसेना की तट-आधारित परिसंपत्तियों के साथ संयुक्त रूप से संचालित किया गया, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान और हवाई अभियानों के लिए संयुक्त एसओपी का सत्यापन किया जा सके। अभ्यास त्रिशूल ने स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग और आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों को आत्मसात करने पर प्रकाश डाला। इसके अलावा उभरते खतरों और समकालीन एवं भविष्य के युद्ध के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए प्रक्रियाओं और तकनीकों के परिशोधन पर ध्यान केंद्रित किया। -------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम