
पटना, 14 नवम्बर (हि.स.)। बिहार में एनडीए की आंधी में महागठबंधन हांफता नजर आ रहा है। बिहार चुनाव के नतीजे एनडीए के पक्ष में जाते दिख रहे हैं। बिहार की 243 सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। बिहार चुनाव रिजल्ट के रुझानों में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिल चुका है। रुझानों में एनडीए को 200 से अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि महागठबंधन 35 सीटों के आसपास है। एनडीए में सबसे ज्यादा कमाल बीजेपी कर रही है। रूझानों में बीजेपी को 90 सीटे मिलती दिख रही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यह अब तक सबसे बड़ा और ऐतिहासिक प्रदर्शन है। 2020 के चुनाव में बीजेपी सीटों की संख्या के हिसाब से दूसरे नंबर पर थी। इस बार वो सबको पीछे छोड़ते हुए पहले स्थान पर दिख रही है।
साल 2005 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने मिलकर चुनाव लड़ा। इस दौरान जेडीयू को 88 सीटें मिली। वहीं बीजेपी ने भी 55 सीटें अपने नाम कर लीं। इस चुनाव में बीजेपी ने 102 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। बीजेपी को 36 लाख 86 हजार 720 (15.65 फीसदी) वोट प्राप्त हुए। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 54 सीटें हासिल हुईं, लेकिन कांग्रेस 9 सीटों तक सिमट गई। कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। बहुमत का आंकड़ा एनडीए के पक्ष में गया था।
साल 2010 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी और जेडीयू साथ-साथ चुनावी मैदान में उतरे थे। वहीं, कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा। इस बार के चुनाव में जेडीयू 115 और बीजेपी को 91 सीटें मिली थी। इस चुनाव में बीजेपी ने 102 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। बीजपेी को 47 लाख 90 हजार 436 (16.49 फीसदी) वोट हासिल हुए। वहीं कांग्रेस को 4 और आरजेडी को 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कुल मिलाकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का ग्राफ लगातार गिरता चला गया।
साल 2015 में बिहार विधानसभा की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। नीतीश की पार्टी जेडीयू ने लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी से हाथ मिला लिया। इस दौरान लालू और नीतीश कुमार की पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा। साल 2015 में जेडीयू को 71 सीटें मिली। वहीं बीजेपी को 53 सीटों पर संतोष करना पड़ा। बीजेपी ने 157 उम्मीदवार मैदान में थे। इस चुनाव में बीजेपी की सीट भले कम हुई लेकिन उसका वोट शेयर 16.49 से बढ़कर 24.42 फीसदी हो गया। आरजेडी को 80 और कांग्रेस को 19 सीटें मिलीं। आरजेडी इस बार एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
नीतीश कुमार राज्य के सीएम बने और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन गए। लेकिन हालात कुछ ऐसे बदले कि मझधार में ही नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा देकर बीजेपी से हाथ मिला लिया। ऐसे में आरजेडी के तेजस्वी यादव का डिप्टी सीएम पद भी चला गया। इस बार फिर से नीतीश कुमार बीजेपी के सपोर्ट से सीएम बन गए और राज्य में एनडीए की सत्ता आ गई।
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का घटक दल चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अलग हो गई। राज्य में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अलग चुनाव लड़ा। इधर आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में चिराग पासवान तो कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को तगड़ा झटका दिया। जेडीयू को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। जेडीयू ने 143 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और सिर्फ 43 सीटों पर जीत का स्वाद चखा। बीजेपी का वोट शेयर गिरकर 19.46 फीसदी पर आ गया लेकिन उसकी सीटें 53 से बढ़कर 74 हो गई। वहीं चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 135 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और जीत सिर्फ एक सीट पर मिली। हालांकि, उसने 5 प्रतिशत से ज्यादा वोटों पर कब्जा कर लिया। इधर लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी को 75 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस को 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
2025 के चुनाव में भाजपानीत एनडीए ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं। बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीट पर चुनाव लड़े। चुनाव रूझान के मुताबिक बीजेपी 93 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं उसके वोट शेयर में सुधार हुआ है। एनडीए में शामिल जेडीयू 83, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) 19 हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) 5 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा 4 सीटों पर विजयी होते दिख रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ आशीष वशिष्ठ
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश