सद्भावना भारत का स्वभाव है: सरसंघचालक डॉ. भागवत

14 Nov 2025 22:18:01
सद्भावना बैठक में उपस्थित लोग


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत


जयपुर, 14 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनाराव भागवत ने कहा कि सद्भावना भारत का स्वभाव है। नियम और तर्क के आधार पर समस्याएं ठीक नहीं हो सकती, इसके लिए सद्भावना चाहिए और हमें यही काम करना है। उन्होंने कहा कि स्वार्थ भावना यह दुनिया का स्वभाव है। स्वार्थ भावना के आधार पर दुनिया को सुखी करने का प्रयास दो हज़ार साल से चल रहा है और फेल हो रहा है क्योंकि स्वार्थ सबका भला नहीं कर सकता। जिसमें ताकत है वो अपना स्वार्थ साध लेता है, उसके मन में कोई संवेदना नहीं रहती। स्वार्थ तो परस्पर विरोधी होता ही है।

सरसंघचालक डॉ. भागवत शुक्रवार को मालवीय नगर स्थित पाथेय कण संस्थान के नारद सभागार में आयोजित सामाजिक सद्भाव बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समाज को बचाना है तो उसका प्रबोधन करना आवश्यक है। कुछ शक्तियां ऐसी हैं जो भारत को आगे बढ़ने नहीं देना चाहती हैं। हिंदू भारत का प्राण है, इसलिए भारत को तोड़ने की कोशिश करने वाले लोग हिंदुओ को तोड़ना चाहते हैं। आज ड्रग्स का जाल फैलाया जा रहा है। इसके पीछे जो ताकतें है वो भारत को दुर्बल बनाना चाहती हैं।

उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन का कार्यक्रम हमने दिया है। बहुत सरल कार्यक्रम है। यह समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का जागरण और नागरिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि परिवार में आत्मीयता होती है तो ड्रग और लव जिहाद जैसी बातें हमेशा दूर रहती है। पर्यावरण के लिए छोटी छोटी बातें करनी है। पानी बचाओ, सिंगल यूज प्लास्टिक हटाओ और पेड़ लगाओ। उन्होंने आगे कहा कि सद्भावना के आधार पर ये बातें समाज के आचरण लाना है यह तब आएगी जब पहले हम इसे अपने आचरण में लाएंगे। सबमें सम्मान, प्रेम और आदर रहेगा तो सारे संकट समाप्त हो जाएंगे।

बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल, प्रदेश के विभिन्न समाजों के पदाधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

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