बलोचिस्तान में बस और रेल सेवा बंद, हवाई जहाज का किराया लाख तक पहुंचा

14 Nov 2025 13:02:01
बलोचिस्तान में हर राहगीर पर कड़ी नजर रखी जा रही है। फोटो - द बलोचिस्तान पोस्ट


क्वेटा, 14 नवंबर (हि.स.)। बलोचिस्तान में आम बाशिंदों का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है। पाकिस्तान की संघीय सरकार और राज्य सरकार के सुरक्षा कारणों के कारण लगाए जा रहे प्रतिबंधों से अवाम आजिज आ चुकी है। रेल और बस बंद हैं। इंटरनेट और मोबाइल इंटरनेट की सेवाएं कभी सुचारू नहीं हो पातीं। आवागमन के सस्ते संसाधन बंद हैं और हवाई सफर की कीमतें आसमान छू रही हैं। क्वेटा से बलोचिस्तान का किराया लाख रुपये तक पहुंच गया है।

पश्तो भाषा में प्रसारित ऑनलाइन समाचार पोर्टल द बलोचिस्तान पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा मुश्किल हालात की पड़ताल की है। रिपोर्ट के अनुसार, बलोचिस्तान में आतंकवादी हमलों की आशंका की वजह से कई दिनों से रेल सेवा स्थगित है। पंजाब प्रांत जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा (बस) बंद है। इसके कारण हवाई यात्रा पर निर्भरता बढ़ गई है और किराया कई गुना बढ़ गया है। नागरिकों का कहना है कि इस वजह से अन्य शहरों और प्रांतों की यात्रा करना मश्किल गया है।

बलोचिस्तान परिवहन प्राधिकरण ने बलोचिस्तान को पंजाब के डेरा गाजी खान से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-70 पर बसों, टैक्सियों और निजी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्वेटा से पंजाब और कराची के लिए रेल सेवा एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दी गई है। प्रांत के सभी 36 जिलों में 16 नवंबर तक मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। शहरी इलाकों में आंशिक बहाली की अनुमति दी गई थी, लेकिन दो दिन से शहरों में सेवा पूरी तरह से बंद है।

यात्रा प्रतिबंधों से आम नागरिक, मरीज, विद्यार्थी और व्यापारी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस्लामाबाद में रहने वाले फहीम अल हसन ने बताया कि उनके एक करीबी रिश्तेदार का कल क्वेटा में निधन हो गया। सुरक्षा के चलते रिश्तेदारों ने विमान से जाने की सलाह दी। टिकट की कीमत का पता किया तो पांव तले जमीन खिसक गई। एक टिकट की कीमत 70 हजार रुपये बताई गई। परिवार के चार-पांच सदस्य जाना चाहते थे। विमान का सफर महंगा होने के कारण कोई भी अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं जा सका।बस और ट्रेन सेवा पहले से बंद है। गम और संवेदनाओं पर प्रतिबंधों का पहाड़ टूट रहा है।

बलोचिस्तान की राजधानी क्वेटा में रहने वाले सादुल्लाह ने बताया कि उनके रिश्तेदार की लाहौर में शादी थी। इसकी तैयारी परिवार कई सप्ताह से कर रहा था। रेल और बस बंद होने के कारण वह नहीं जा सके। हवाई जहाज का टिकट खरीदना उनके बूते में नहीं। एयर ट्रैवल एजेंट अब्दुल्ला खान के अनुसार, उड़ानों की कमी है। मांग लगातार बढ़ रही है। विमान टिकट पहले से ही महंगे हैं। क्वेटा से इस्लामाबाद या कराची का किराया आम दिनों में 20 से 25 हजार रुपये होता है। नह अब 70 से 80 हजारर रुपये तक पहुंच चुका है। तत्काल टिकट की कीमत एक लाख रुपये तक पहुंच जाती है।

खान के अनुसार, केवल फ्लाई जिन्ना ही क्वेटा से इस्लामाबाद और कराची के लिए दैनिक उड़ानें संचालित करती है। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) की तीन-चार उड़ानें और सेरेन एयर की केवल एक उड़ान है। मांग कई गुना अधिक है। बलोचिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अख्तर काकर ने हवाई किराया में बढ़ोतरी और उड़ानों की कमी के खिलाफ बलोचिस्तान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत ने निर्देश के बावजूद व्यक्तिगत रूप से पेश न होने पर पीआईए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और नागरिक उड्डयन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मुख्य न्यायाधीश रोजी खान बर्दिख ने पूछा है कि बलोचिस्तान के लिए उड़ानें कम और किराया अधिक क्यों है।

अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले अख्तर काकर ने कहा कि देश में पांच एयरलाइंस हैं। दो कंपनियां ही क्वेटा के लिए उड़ानें संचालित करती हैं। बलोचिस्तान में पैदल सफर तक सुरक्षित नहीं है। रेल और बस सेवाएं अकसर बंद रहती हैं। इसलिए लोगों को इलाज, शिक्षा, व्यापार या रिश्तेदारों से मिलने के लिए हवाई यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ता है। इस्लामाबाद से कराची की हवाई यात्रा दो घंटे की है और टिकट 30 हजार रुपये का है। वह कहते हैं कि क्वेटा से इस्लामाबाद की एक घंटे की टिकट 70 से 80 हजार रुपये में मिल जाती है और कभी-कभी यह एक लाख रुपये से भी अधिक हो जाती है।

उन्होंने कहा कि प्रांत एक 'बड़ी जेल' में तब्दील हो गया है और लोगों के लिए दूसरे शहरों या प्रांतों की यात्रा करना जेल तोड़कर बाहर जाने जैसा हो गया है। अख्तर काकर ने सरकार और न्यायपालिक से मांग की कि वे बलोचिस्तान के लोगों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करें और अधिक उड़ानों की व्यवस्था करें। व्यापारी नेताओं का कहना है कि एयरलाइंस देश के अन्य प्रमुख शहरों के लिए रोजाना उड़ानें संचालित करती हैं, लेकिन कई कंपनियां बलूचिस्तान के लिए एक भी उड़ान संचालित नहीं करतीं। यह संविधान के अनुच्छेद 8, 9, 18 और 25 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

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