
मुंबई, 14 नवंबर (हि.स.)। भारतीय सिनेमा बालीवुड की सबसे उम्रदराज और प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों में शुमार कामिनी कौशल ने 98 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। अभिनेत्री के परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की है।
अभिनेत्री के परिवार ने कहा कि इस कठिन समय में निजता बनाए रखने की अपील की है। परिवार के इस अनुरोध से साफ झलकता है कि कामिनी कौशल न सिर्फ पर्दे पर, बल्कि निजी जीवन में भी बेहद सादगी और गरिमा के साथ रहीं। वह भारतीय फिल्मों की उन दुर्लभ कलाकारों में थीं, जिन्होंने 90 से अधिक फिल्मों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया और हर किरदार को विशिष्टता के साथ निभाया।
अपने लंबे और शानदार करियर में कामिनी कौशल ने ऐसी अनगिनत भूमिकाए निभाईं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों पर अमिट छाप छोड़ी। उनकी सादगी, सहज अभिनय और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ने उन्हें एक अलग ही मुकाम पर स्थापित किया। उनके निधन की खबर से फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है। कामिनी कौशल का जाना मानो हिंदी सिनेमा के उस दौर का अंत है, जहां कहांनियां सीधी-सादी होती थीं और कलाकार अपनी उपस्थिति भर से पर्दे पर जादू रच देते थे।
सिनेमा की विरासत
कामिनी कौशल ने अपने करियर की शुरुआत प्रसिद्ध फिल्म 'नीचा नगर' (1946) से की थी, जिसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इस फिल्म से उनकी अभिनय क्षमता की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई। इसके बाद उन्होंने 'शहीद', 'नदिया के पार', 'शबनम', 'आरजू', और 'बिरज बहू' जैसी कई क्लासिक और लोकप्रिय फिल्मों में काम किया। वह उस पीढ़ी की कलाकार थीं जो अभिनय को कला से अधिक एक साधना मानती थीं।
हाल के वर्षों में भी वह सक्रिय रहीं। दर्शकों ने उन्हें आखिरी बार 2022 में रिलीज हुई आमिर खान और करीना कपूर स्टारर फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' में देखा था। इसके अलावा वह सुपरहिट फिल्म 'कबीर सिंह' में शाहिद कपूर की दादी के रूप में भी नजर आई थीं, जिसने युवा दर्शकों के बीच उनकी लोकप्रियता फिर से बढ़ा दी। कामिनी कौशल के निधन के साथ भारतीय सिनेमा का एक खूबसूरत अध्याय समाप्त हो गया है। उनकी सरलता, प्रतिभा और गरिमामयी व्यक्तित्व हमेशा याद किए जाएंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे