
- श्रीराम मंदिर में 25 नवंबर को होगा ध्वजारोहण समारोह
अयोध्या, 18 नवंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में ध्वजारोहण को राम राज्य की परिकल्पना, निर्भयता के निर्माण के वातावरण का सृजन और राम सब के और सब के राम की भावना की स्थापना बताया।
मंगलवार को मंदिर परिसर में पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने मंदिरके ध्वज पर अंकित प्रतीकों के सम्बन्ध में भी विस्तार से बताया। महामंत्री ने बताया कि ध्वज का केसरिया रंग ज्वाला और त्याग का प्रतीक है। इसे 161 फिट ऊंचे शिखर पर बाहर तीस फिट ध्वजदंड (कुल42 फिट) है। धरती से 191 फिट की ऊंचाई पर इसे चढ़ाया जाना है।
ट्रस्ट के महासचिव राय ने बताया कि केसरिया ध्वज पर सूर्य के मध्य 'ऊं' अंकित है। सूर्य प्रभु श्रीराम के वंश का प्रतीक और 'ऊं' परमात्मा का प्रथम नामाक्षर है। इसके अतिरिक्त कोविदार वृक्ष अयोध्या के राजवंश की सत्ता का चिह्न रहा है, जो वाल्मीकि रामायण और हरिवंश पुराण में वर्णित है। कोविदार के बारे में ज्ञानीजन बताते हैं कि तत्कालीन कश्यप ऋषि ने पारिजात और मंदार के संयोग से तैयार किया था। मान्यता है कि यह संसार का पहला हाइब्रिड प्लान्ट था। यह भी उल्लेख मिलता है कि इसी वृक्ष पर चढ़कर लक्ष्मण ने भरत को सेना के साथ वन में आते देखा था। उन्होंने बताया कि ध्वजारोहण कार्यक्रम के लिए आमंत्रित अतिथियों में तीन हजार अयोध्या जनपद के हैं। शेष प्रदेश के अन्य जिलों से हैं।
उल्लेखनीय है कि भगवान राम की नगरी अयोध्या में 25 नवंबर को होने वाले ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा देश-विदेश की कई प्रमुख हस्तियां शामिल होने की संभावना है। ध्वजारोहण समारोह की तैयारियाें को तेजी से अंतिम रूप दिया जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय