ट्रंप आज करेंगे सऊदी क्राउन प्रिंस का भव्य स्वागत, सुरक्षा समझौतों और अरबों डॉलर के निवेश पर होगी बड़ी बातचीत

18 Nov 2025 22:02:01

वॉशिंगटन, 18 नवंबर (हि.स.)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) का व्हाइट हाउस में अत्यंत भव्य स्वागत करेंगे। 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर बनी नकारात्मक छवि से उबरने और वॉशिंगटन से संबंधों को और गहरा करने की दिशा में यह एमबीएस का सबसे महत्वपूर्ण दौरा माना जा रहा है। लगभग सात वर्षों बाद व्हाइट हाउस पहुंच रहे क्राउन प्रिंस को ट्रंप द्वारा विशेष सम्मान और औपचारिक समारोह के साथ स्वागत दिया जाएगा।

दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने, सिविल न्यूक्लियर सहयोग को आगे बढ़ाने और बहु-अरब डॉलर के व्यापारिक समझौतों को अंतिम रूप देने पर जोर रहेगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान सऊदी अरब और इजराइल के बीच संबंध सामान्य करने के मुद्दे पर किसी बड़े ब्रेकथ्रू की उम्मीद कम है।

यह बैठक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और शीर्ष तेल निर्यातक देश के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का संकेत देती है। खशोगी की हत्या को लेकर उठे अंतरराष्ट्रीय विरोध के बाद संबंधों में आई दरार अब लगभग भर चुकी है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने माना था कि इस ऑपरेशन की मंजूरी एमबीएस ने दी थी, हालांकि क्राउन प्रिंस ने सीधे आदेश देने से इनकार किया था।

दौरे के दौरान एमबीएस राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में बैठक करेंगे, कैबिनेट रूम में लंच में शामिल होंगे और शाम को ब्लैक-टाई डिनर में भाग लेंगे। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ट्रंप मई में अपनी रियाद यात्रा के दौरान घोषित 600 अरब डॉलर के निवेश वादे को आगे बढ़ाते हुए दर्जनों नए, लक्षित प्रोजेक्ट की घोषणा करेंगे। दोनों देश रक्षा खरीद, न्यूक्लियर ऊर्जा सहयोग और अमेरिका की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंफ्रास्ट्रक्चर में सऊदी निवेश जैसे प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते कर सकते हैं।

ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचेगा। सऊदी ने 48 एफ-35 खरीदने का अनुरोध किया है। यह पहला मौका होगा जब यह अत्याधुनिक विमान सऊदी को मिलेंगे—और यह सौदा मध्य पूर्व में सैन्य संतुलन को बदल सकता है, क्योंकि अब तक इजराइल ही इस जेट का एकमात्र उपयोगकर्ता था।

सऊदी अरब इस दौरे में नई सुरक्षा गारंटी भी चाहता है। अनुमान है कि ट्रंप क़तर की तरह एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए कुछ सुरक्षा प्रतिबद्धताएं देंगे, हालांकि यह पूर्ण नाटो-स्तरीय संधि नहीं होगी।

अमेरिका का सबसे बड़ा लक्ष्य सऊदी को चीन के प्रभाव क्षेत्र से दूर रखना है। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप बहुआयामी साझेदारी के जरिए रियाद को ऊर्जा, एआई, वित्त और सुरक्षा के क्षेत्रों में अमेरिका से गहराई से जोड़ना चाहते हैं।

व्हाइट हाउस भी चाहता है कि सऊदी अरब अब्राहम समझौते में शामिल हो, हालांकि सऊदी फिलहाल फिलिस्तीन राज्य के रोडमैप के बिना कोई बड़ा कदम उठाने को तैयार नहीं है।

------------------

हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय

Powered By Sangraha 9.0