
वाशिंगटन, 19 नवंबर (हि.स.)। बहुचर्चित एपस्टीन फाइल्स विधेयक को अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के दोनों सदनों सीनेट और प्रतिनिधि सभा की मंजूरी मिल गई। इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा गया है। उनके इस पर हस्ताक्षर होते ही न्याय विभाग यौन अपराधों के दोषी दिवंगत जेफरी एपस्टीन से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक कर सकता है। यह विधेयक न्याय विभाग को इसके लिए बाध्य करता है। बावजूद इसके विधेयक की भाषा अटार्नी जनरल को अपने विवेक का प्रयोग करने का असीमित अधिकार देती है। इसलिए सारी फाइलों के सार्वजनिक होने में संशय है।
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी है। जेफरी एपस्टीन से संबंधित फाइलें बुधवार को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति ट्रंप के पास पहुंच जाएंगी। वह पहले ही इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने के संकेत दे चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इसे एपस्टीन फाइल पारदर्शिता अधिनियम (एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट) के नाम से जाना जाएगा। यह विधेयक न्याय विभाग को एपस्टीन और उसकी प्रमुख सहयोगी गिस्लेन मैक्सवेल से संबंधित फाइलों को कानून बनने के 30 दिनों के भीतर सार्वजनिक करने के लिए बाध्य करेगा। यह प्रतिनिधि सभा में 427-1 से पारित हुआ। सीनेट ने आमराय से इसे मंजूरी दी।
अमेरिका के ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, दर्शक दीर्घा में मौजूद कई पीड़ितों ने संसद के इस कदम का स्वागत किया। बावजूद इसके फाइलों को सार्वजनिक करने में अभी भी कई बाधाएं हैं। इसकी भाषा न्याय विभाग को विवेकाधिकार की पर्याप्त गुंजाइश देती है। विधेयक की भाषा के अनुसार, अटॉर्नी जनरल किसी सक्रिय संघीय जांच या अभियोजन को खतरे में डालने वाली किसी भी जानकारी को रोक या संपादित कर सकते हैं।
विधेयक में कहा गया है कि अटॉर्नी जनरल ऐसे अभिलेखों को रोक या संशोधित कर सकते हैं जिनमें पीड़ितों के नाम, चिकित्सा दस्तावेज और पहचान संबंधी जानकारी हो। वह बाल यौन शोषण सामग्री को भी सार्वजनिक न करने का फैसला ले सकते हैं। ऐसा करने से पहले न्याय विभाग को कांग्रेस को एक रिपोर्ट भी भेजनी होगी। इसमें विस्तार से सभी कुछ तार्किक आधार पर बताना होगा। यह भी बताना होगा कि इसका कानूनी आधार क्या है।
सनद रहे, ट्रंप पिछले हफ्ते न्याय विभाग से एपस्टीन के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, जेपी मॉर्गन चेज के अधिकारियों और अन्य के साथ संबंधों की जांच करने का आह्वान कर चुके हैं। न्याय विभाग का नियंत्रण राष्ट्रपति के हाथों में है। यही वजह है कि न्याय विभाग ने कांग्रेस की मंजूरी के बिना एपस्टीन जांच से संबंधित 100 से ज्यादा पृष्ठों के दस्तावेज जारी किए। इसके बाद सारी फाइलें जारी करने की मांग उठी। एपस्टीन और ट्रंप के दोस्ताना संबंधों का खुलासा होने पर जमकर हंगामा हुआ। ट्रंप ने आरोपों से लगातार इनकार किया और कुछ मीडिया घरानों को अदालत की चौखट तक ले गए। उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली।
-------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद