
गुवाहाटी, 19 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्र्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने युवाओं से अपील की है कि वे पूर्व निर्धारित धारणाओं या उद्देश्यप्रेरित प्रचार के आधार पर संघ के बारे में कोई निष्कर्ष न निकालें। युवाओं को संघ के कार्य, गतिविधियों और इसकी सामाजिक भूमिका को नजदीक से समझना चाहिए। संघ का मूल उद्देश्य शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है।
डॉ. भागवत यहां के बरबाड़ी स्थित सुदर्शनालय में आयोजित युवा नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। डॉ. भागवत ने संघ की नीति, आदर्श, कार्यसंहिता और संगठन को लेकर चल रही चर्चाओं पर विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि संघ आज चर्चा का विषय है, लेकिन यह चर्चा सत्य और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत देशभक्ति गीतों के साथ हुई। डॉ. भागवत ने कहा कि यह सम्मेलन असम और उत्तर-पूर्व के युवाओं के लिए संघ को समझने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ का मूल उद्देश्य भारत को विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित करना है। राष्ट्र के उत्थान की वास्तविक शुरुआत समाज के उत्थान से होती है। उन्होंने कहा, “एकता और गुणों से संपन्न समाज ही राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।”
उन्होंने विकसित देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि इन देशों ने अपनी प्रगति के प्रारंभिक सौ वर्षों में समाज को एकता और गुणवत्ता के आधार पर विकसित किया। भारत को भी इसी दिशा में आगे बढ़ना होगा। डॉ. भागवत ने कहा कि भारत की भाषाई, क्षेत्रीय और आस्था आधारित विविधता इसकी सबसे बड़ी ताकत है और इस विविधता का सम्मान करना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। उन्होंने कहा, “दुनिया में इस सोच का अभाव है, लेकिन भारत में यह परंपरा गहरी है।”
उन्होंने कहा कि जो लोग भारत की इस विविधता का सम्मान करते हैं, वे हिंदू हैं और ऐसे हिंदू समाज को संगठित करना ही संघ का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत का समाज संगठित और गुणवान नहीं होगा, तब तक भारत का भाग्य नहीं बदलेगा। गुरु नानक, श्रीमंत शंकरदेव जैसे महापुरुषों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन सभी ने विविधता का सम्मान करते हुए समाज को एकता का संदेश दिया है।
प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार केवल व्यक्ति के चरित्र निर्माण से ही समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल कानून से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से गो-पालन के माध्यम से ही सच्चे अर्थों में गो-रक्षा सुनिश्चित हो सकती है।
डॉ. भागवत ने अपने वक्तव्य में दोहराया कि संघ का मूल उद्देश्य एक मजबूत भारत का निर्माण करना है। उन्होंने युवाओं से समय, रुचि और क्षमता के अनुसार संघ के कार्यों में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि संघ समाज का ही एक भाग है और उत्तर-पूर्व भारत में संगठन की जड़ें लगातार सुदृढ़ हो रही हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश