चुनाव आयोग पर कांग्रेस व राहुल के आरोपों को लेकर 272 प्रतिष्ठित जनों ने चिंता जतायी

19 Nov 2025 19:21:01
चुनाव आयोग प्रेसवार्ता फोटो


नई दिल्ली, 19 नवंबर (हि.स.)। देश के प्रतिष्ठित नागरिकों ने 'वोट चोरी' का आरोप लगाकर चुनाव आयोग को बदनाम करने के कथित प्रयासों की निंदा की है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, अन्य विपक्षी दलों, उनका साथ दे रहे बुद्धिजीवियों और एनजीओ पर सवाल खड़े करते हुए एक खुला पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि देश की संस्थाओं पर राजनीतिक हमले नहीं होने चाहिए। भारतीय लोकतंत्र लचीला है और यहां लोग बुद्धिमान हैं।

पत्र में अपील की गई है कि राजनीतिक नेता संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान करें, निराधार आरोपों के माध्यम से नहीं बल्कि नीतिगत स्पष्टता के माध्यम से प्रतिस्पर्धा करें तथा लोकतांत्रिक निर्णयों को शालीनता से स्वीकार करें। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि नेतृत्व सच्चाई पर आधारित हो, नाटकीयता पर नहीं; विचारों पर आधारित हो, गाली-गलौज पर नहीं; सेवा पर आधारित हो, दिखावे पर नहीं।” इन 272 प्रतिष्ठित नागरिकों में 16 पूर्व न्यायाधीश, 14 पूर्व राजदूत सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

पत्र में चुनाव आयोग से पारदर्शिता और कठोरता के साथ अपना काम करते रहने का आह्वान किया गया है। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे चुनाव आयोग के साथ मजबूती से खड़े हों। इसमें कहा गया है कि आयोग को चाहिए कि वह संपूर्ण आंकड़े प्रकाशित करे, आवश्यकता पड़ने पर कानूनी माध्यमों से अपना बचाव करे और पीड़ित होने का दिखावा करने वाली राजनीति को अस्वीकार करें।

मतदाता सूची के शुद्धिकरण के प्रयास और आयोग की ओर से जारी एसआईआर को सही ठहराते हुए प्रतिष्ठित जनों ने सवाल पूछा है कि मतदाताओं में किसे स्थान मिलना चाहिए? उन्होंने कहा कि फर्जी या जाली मतदाताओं को चुनावों को प्रभावित करने की अनुमति देना राष्ट्र की संप्रभुता और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। दुनिया भर में, लोकतंत्र अवैध आव्रजन के प्रति सख्त रवैया अपनाते हैं। यदि अन्य राष्ट्र अपने राज्यों की चुनावी अखंडता की इतनी दृढ़ता से रक्षा करते हैं, तो भारत को भी उतनी ही सक्रियता दिखानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला बोला है। यह घोषणा करते हुए कि उनके पास वोट चोरी में चुनाव आयोग की संलिप्तता के स्पष्ट प्रमाण हैं और दावा किया है कि उनके पास 100 प्रतिशत सबूत हैं। कुछ राजनीतिक नेता, वास्तविक नीतिगत विकल्प प्रस्तुत करने के बजाय, अपनी नाटकीय राजनीतिक रणनीति के तहत भड़काऊ लेकिन निराधार आरोपों का सहारा लेते हैं। उनके अनुसार चुनाव आयोग राजद्रोह में लिप्त है। इससे पता चलता है कि ये आरोप संस्थागत संकट की आड़ में राजनीतिक हताशा को छिपाने का एक प्रयास हैं।

उन्होंने कहा, “जब राजनीतिक नेता आम नागरिकों की आकांक्षाओं से नाता तोड़ लेते हैं, तो वे अपनी विश्वसनीयता फिर से बनाने के बजाय संस्थानों पर हमला बोलते हैं।” पत्र में नागरिक समाज की ओर से चिंता व्यक्त की गई है कि भारत के लोकतंत्र पर असली हमला आधारभूत संस्थाओं के विरुद्ध ज़हरीली बयानबाज़ी की बढ़ती लहर से हो रहा है। पत्र में कहा गया है कि भारतीय सशस्त्र बलों, न्यायपालिका, संसद और उसके संवैधानिक पदाधिकारियों के बाद अब चुनाव आयोग की बारी आई है कि वह अपनी ईमानदारी और प्रतिष्ठा पर व्यवस्थित एवं षड्यंत्रकारी हमलों का सामना करे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

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