सम्राट विक्रमादित्य ने न्याय, शौर्य व सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया: मुख्यमंत्री डॉ यादव

02 Nov 2025 22:41:00
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री


मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह “अभ्युदय मध्य प्रदेश


मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह “अभ्युदय मध्य प्रदेश


सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन


भोपाल, 02 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने वीरता, दानशीलता, न्याय, शौर्य और सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया था। लगभग दो हजार साल पहले उनके शासनकाल की विशेषताओं पर महान नाट्य का मंचन पहली बार भोपाल में हो रहा है। आज का दिन ऐतिहासिक भी है क्योंकि कलाकारों द्वारा अश्व दल के उपयोग सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय से मंच साकार हो उठा। वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों का चित्रण राजधानी के दर्शकों के लिए मंचित किया गया। नाटक में सम्राट विक्रमादित्य के राज्यारोहण के दृश्य और अन्य प्रसंग अद्भुत हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार देर शाम भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर मप्र स्थापना दिवस के दूसरे दिन आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत के संरक्षण के साथ विकास की बात कही है। मध्य प्रदेश इस मंत्र को अपना कर कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि कभी ये परिस्थिति बनी कि राष्ट्र की स्वतंत्रता बाहरी आक्रामकों के कारण खतरे में पड़ी। राष्ट्र की गरिमा धूल धूसरित हो गई। गुलामी की काली छाया थी। हमारी धर्म में विश्वास रखने वाली शांति प्रिय जनता धर्म ध्वजा उठाए सुख वैभव से रहती थी। आक्रामकों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया। मथुरा, कंधार, उज्जयिनी जैसे केंद्र नष्ट भ्रष्ट किए जाने लगे। हाहाकार मच गया। उस दौर में अन्तत: पुनः समय बदला सम्राट विक्रमादित्य का युग प्रारंभ हुआ। वे बाल्य अवस्था में ही जन कल्याण को उन्मुख थे। आचार्य चन्द्रगुप्त से दीक्षा लेकर शासन के सूत्र अपने हाथ में लिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन के संपूर्ण भू भाग के नागरिकों को ऋण मुक्त करते हुए उन्हें अपने सामर्थ्य का लाभ दिया और विक्रम संवत प्रारंभ करने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया। शौर्य, दानशीलता, न्याय का परिचय देकर सुशासन की व्यवस्था लागू की। वे सम्पूर्ण राष्ट्र को ऋण मुक्त करने में सफल हुए। पुनः संवत का प्रवर्तन हो चुका था। सम्राट विक्रमादित्य ने नवरत्नों को जुटाया। विनम्रता से राज्य के छोटे से छोटे व्यक्ति के कल्याण की चिंता करते थे।

उन्होंने कहा कि इतिहास की इस कथा को अनूठी कल्पना के साथ प्रस्तुत किया गया। सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में रात्रि गश्त का प्रसंग भी महत्वपूर्ण है। सम्राट विक्रमादित्य राज्य के अपराध से जुड़े लोगों के गुणों को भी जानते थे और उन गुणों का उपयोग राष्ट्र कल्याण में करने और देश हित में उन्हें उन्मुख करते थे। राज्य रोहण पूरी शान के साथ होता है। महाकाल महाराज की कृपा से वे अद्वितीय शासक बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य महानाटक के सभी कलाकार अभिनंदन के पात्र हैं। यहां फिल्मांकन की तरह नाट्य मंचन हुआ है। उन्होंने समस्त कलाकारों को बधाई दी और उनका अभिनंदन किया। कार्यक्रम में मंत्रीगण करण सिंह वर्मा व कृष्णा गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा व भगवान दास सबनानी, भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, जनप्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई व शिवशेखर शुक्ला, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह “अभ्युदय मध्य प्रदेश” के दूसरे दिन भोपाल के लाल परेड ग्राउंड का वातावरण सृजन, संस्कृति और कला के रंगों से सराबोर रहा। स्थापना दिवस के दूसरे दिन शाम को महानाट्य प्रस्तुति सम्राट विक्रमादित्य का मंचन हुआ। इसके बाद आरंभ हुई सुरों की यात्रा, एक ऐसी यात्रा जिसमें भाव थे, दिव्यता थी और सुरीलापन। चंडीगढ़ के हंसराज रघुवंशी ने अपने भजनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

एक जिला- एक उत्पाद शिल्प मेलासमारोह में 'एक जिला-एक उत्पाद' के अंतर्गत शिल्प मेला का आयोजन किया गया है। इसमें प्रदर्शन के साथ आम नागरिक उत्पादों को क्रय भी कर सकते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के विशिष्ट व पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इनमें भोपाल का जूट उत्पाद, बुरहानपुर की जैविक दाल, गुना की मेहंदी, जबलपुर के संगमरमर के उत्पाद, अनूपपुर का काष्ठ शिल्प, नर्मदापुरम की अगरबत्ती, अशोकनगर का चंदेरी उत्पाद, मण्डला की गोण्ड पेंटिंग, बुरहानपुर के केले के रेशे से निर्मित उत्पाद, छतरपुर का लकड़ी शिल्प इत्यादि विशेष हैं।

उल्लेखनीय है कि जो उत्पाद शिल्प मेला में प्रदर्शित किये जा रहे हैं वे पारंपरिक उत्पादकों द्वारा ही निर्मित किये जाते हैं और वे ही इन्हें यहां लेकर आए हैं। इसके अलावा बाग छापाकला, काष्ठ खिलौना, काष्ठ मुखौटे, खराद शिल्प, दरी चादर बुनाई, महेश्वरी वस्त्र, गोबर शिल्प, जूट एवं डोकरा जैसे शिल्प भी यहां आकर्षण का केन्द्र बने हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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