
बेलेंम (ब्राजील), 20 नवंबर (हि.स.)। भारत ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा ना रहकर राष्ट्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है जिसके खिलाफ तत्काल एकजुट वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार काे यहां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कोप-30 के इतर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में यह बात कही। उन्हाेंने कहा, “जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले मौसमी घटनाएं, समुद्रजल स्तर में वृद्धि, जल संकट और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियां सीधे-सीधे देशों की संप्रभुता और स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं। यह नया सुरक्षा खतरा है, जिसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि विकसित देशों को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस बाबत वित्त और तकनीकी हस्तांतरण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना होगा।
यादव ने कहा, “भारत ने हमेशा 'जलवायु न्याय' की बात की है। हमने 2070 तक जलवायु प्रदूषण बिल्कुल समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए विकसित देशों को सालाना एक खरब डॉलर का जलवायु वित्त उपलब्ध कराना होगा, जैसा कि उन्होंने वादा किया था।”
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कोप-30 में यह भी दोहराया कि भारत दुनिया का एकमात्र बड़ा देश है जो पेरिस समझौते के सभी लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने की राह पर है। मंत्री ने लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) मिशन को वैश्विक आंदोलन बनाने की अपील की।
कोप-30 के इतर आयोजित इस कार्यक्रम में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, चीन सहित कई देशों के मंत्री और विशेषज्ञ मौजूद थे। सभी ने जलवायु परिवर्तन को सुरक्षा चुनौती के रूप में मान्यता देने पर सहमति जताई।
भारत ने स्पष्ट किया कि वह जलवायु कार्रवाई में अग्रणी भूमिका निभाएगा, लेकिन इसके लिए वैश्विक सहयोग और न्यायसंगत जिम्मेदारी का बंटवारा जरूरी है।
ब्राजील में अमेजन के बेलेम शहर में दस नवंबर से आयाेजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (काेप 30) शुक्रवार काे समाप्त हाेगा। इसमें 190 से अधिक देशाें के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, गैर स्वयंसेवी संस्थाए और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल