
नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 से 23 नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग का दौरा करेंगे, जहां वे जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व करेंगे। यह सम्मेलन पहली बार अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित हो रहा है, जिसे भारत और पूरे वैश्विक दक्षिण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में होने वाला यह 20वां जी-20 शिखर सम्मेलन लगातार चौथे वर्ष वैश्विक दक्षिण की किसी अर्थव्यवस्था द्वारा आयोजित किया जा रहा है, यानी- इंडोनेशिया, भारत, ब्राज़ील और अब दक्षिण अफ्रीका।
विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध सचिव सुधाकर दलेला ने गुरुवार को विशेष पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन के सभी तीन सत्रों को संबोधित करेंगे। इन सत्रों में समावेशी और सतत आर्थिक विकास, व्यापार, विकास के लिए वित्तपोषण, वैश्विक ऋण बोझ, आपदा जोखिम न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन, न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण, खाद्य प्रणाली, महत्वपूर्ण खनिज, सम्मानजनक कार्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि मोदी का यह दक्षिण अफ्रीका का चौथा आधिकारिक दौरा होगा। इससे पहले वे 2016 में द्विपक्षीय यात्रा और 2018 व 2023 में ब्रिक्स सम्मेलनों में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका जा चुके हैं।
दलेला ने कहा, “यह पहला जी-20 शिखर सम्मेलन है जो अफ्रीकी धरती पर हो रहा है और इसलिए अफ्रीका के विकास-संबंधी मुद्दे इस बार केंद्र में रहेंगे।” दलेला के अनुसार, भारत अपने 2023 के सफल जी-20 अध्यक्षीय कार्यकाल की प्राथमिकताओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगा। भारत द्वारा पिछले वर्ष शुरू किए गए कई महत्वपूर्ण ट्रैक—जैसे डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, महिला-नेतृत्व विकास, एसडीजी की प्रगति में तेजी, आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह तथा महिला सशक्तीकरण कार्य समूह को दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता ने भी विशेष महत्व दिया है।
उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका ने इस वर्ष चार प्रमुख प्राथमिकताएं तय की हैं—आपदा प्रबंधन और प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करना, निम्न-आय वाले देशों के लिए ऋण स्थिरता, न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के लिए वित्त जुटाना और समावेशी विकास तथा सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग। भारत इन सभी विषयों पर रचनात्मक योगदान देगा। दलेला ने कहा, “महत्वपूर्ण खनिजों का बेहतर उपयोग इस शिखर सम्मेलन की प्राथमिकताओं में शामिल है और भारत भी इस क्षेत्र में वैश्विक सहयोग का समर्थक है।”
एक प्रश्न के उत्तर में दलेला ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद का मुद्दा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, किंतु जी-20 एक आर्थिक सहयोग मंच है, इसलिए किस हद तक इसे घोषणा-पत्र में स्थान मिलेगा, यह वार्ताओं के दौरान तय होगा। उन्होंने कहा कि भारत और वैश्विक दक्षिण के दृष्टिकोण से सभी महत्वपूर्ण विषयों को भारत का नेतृत्व प्रमुखता से उठाएगा।
शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें करेंगे। इसके साथ ही वे भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) नेताओं की बैठक में भी भाग लेंगे, जिसे दक्षिण अफ्रीका आयोजित कर रहा है। दलेला ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं- इंडोनेशिया, भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका द्वारा लगातार चार जी-20 अध्यक्षताएं इस बात का संकेत हैं कि वैश्विक शासन में वैश्विक दक्षिण की आवाज़ अब मजबूत और प्रभावशाली हो रही है।
उन्होंने कहा कि जी-20 दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी और लगभग तीन-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में यह मंच अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग, वैश्विक संस्थानों में सुधार, जलवायु चुनौतियों का समाधान, डिजिटल विभाजन को पाटने और ऊर्जा संक्रमण जैसे मुद्दों पर वैश्विक नीति-निर्माण का प्रमुख वाहक बन गया है।
विदेश मंत्रालय के सचिव ने विश्वास जताया कि जोहांसबर्ग शिखर सम्मेलन भारत की प्राथमिकताओं और वैश्विक दक्षिण के एजेंडे को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी इस दिशा में निर्णायक साबित होगी। उन्होंने कहा, “हम एक सफल और उत्पादक जी-20 शिखर सम्मेलन की आशा करते हैं।”
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार