अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एपस्टीन फाइल्स विधेयक पर हस्ताक्षर किए

युगवार्ता    20-Nov-2025
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप । फोटो - फाइल


वाशिंगटन, 20 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बहुचर्चित एपस्टीन फाइल्स विधेयक पर बुधवार रात हस्ताक्षर कर दिए। मंगलवार को अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के दोनों सदनों सीनट और प्रतिनिधि सभा की मंजूरी के बाद इस विधेयक को बुधवार को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब न्याय विभाग को 30 दिन की अवधि के दौरान यौन अपराधों के दोषी दिवंगत जेफरी एपस्टीन से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करना होगा। इस विधेयक को एपस्टीन फाइल पारदर्शिता अधिनियम (एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट) के नाम से जाना जाएगा।

अमेरिका के ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने बुधवार रात यह घोषणा की। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपनी घोषणा में कहा कि यह नया धोखा डेमोक्रेट्स पर भी वैसा ही भारी पड़ेगा जैसा बाकी सभी पर पड़ा है! सनद रहे कांग्रेस से पारित विधेयक में कहा गया है कि न्याय विभाग को 30 दिनों के अंदर इस संबंध में एफबीआई और अटॉर्नी कार्यालय में मौजूद एपस्टीन से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने होंगे। ट्रंप ने पहले एपस्टीन से जुड़ी फाइलें जारी करने की मांग का विरोध किया था।

ट्रंप ने लिखा है, शायद इन डेमोक्रेट्स और जेफरी एपस्टीन के साथ उनके संबंधों के बारे में सच्चाई जल्द ही सामने आ जाएगी, क्योंकि मैंने अभी एपस्टीन फाइलें जारी करने के बिल पर हस्ताक्षर किया है! यह भी महत्वपूर्ण है कि जुलाई में न्याय विभाग ने घोषणा की कि वह एपस्टीन के बारे में और कोई जानकारी नहीं देगा। जेफर एपस्टीन ने 2019 में न्यूयॉर्क शहर की जेल में आत्महत्या की थी।

एक्सियोस की बुधवार को प्रसारित रिपोर्ट के अनुसार, इतना सब होने के बावजूद फाइलों के सार्वजनिक होने में अभी भी कई बाधाएं हैं। इसकी भाषा न्याय विभाग को विवेकाधिकार की पर्याप्त गुंजाइश देती है। विधेयक की भाषा के अनुसार, अटॉर्नी जनरल किसी सक्रिय संघीय जांच या अभियोजन को खतरे में डालने वाली किसी भी जानकारी को रोक या संपादित कर सकते हैं।

विधेयक में कहा गया है कि अटॉर्नी जनरल ऐसे अभिलेखों को रोक या संशोधित कर सकते हैं जिनमें पीड़ितों के नाम, चिकित्सा दस्तावेज और पहचान संबंधी जानकारी हो। वह बाल यौन शोषण सामग्री को भी सार्वजनिक न करने का फैसला ले सकते हैं। ऐसा करने से पहले न्याय विभाग को कांग्रेस को एक रिपोर्ट भी भेजनी होगी। इसमें विस्तार से सभी कुछ तार्किक आधार पर बताना होगा। यह भी बताना होगा कि इसका कानूनी आधार क्या है।

सनद रहे, ट्रंप पिछले हफ्ते न्याय विभाग से एपस्टीन के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, जेपी मॉर्गन चेज के अधिकारियों और अन्य के साथ संबंधों की जांच करने का आह्वान कर चुके हैं। न्याय विभाग का नियंत्रण राष्ट्रपति के हाथों में है। यही वजह है कि न्याय विभाग ने कांग्रेस की मंजूरी के बिना एपस्टीन जांच से संबंधित 100 से ज्यादा पृष्ठों के दस्तावेज जारी किए। इसके बाद सारी फाइलें जारी करने की मांग उठी। एपस्टीन और ट्रंप के दोस्ताना संबंधों का खुलासा होने पर जमकर हंगामा हुआ। ट्रंप ने आरोपों से लगातार इनकार किया और कुछ मीडिया घरानों को अदालत की चौखट तक ले गए। उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

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