
वाशिंगटन, 20 नवंबर (हि.स.)।अमेरिका ने भारत के दो बड़े रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी है जिनकी कुल कीमत करीब 790 करोड़ रुपये है।
अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी रक्षा विभाग की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने बुधवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की।
घाेषणा के मुताबिक पहला सौदा 'जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल प्रणाली' का है, जिसकी कीमत करीब 387 करोड़ रुपये है। इसमें 100 जेवलिन मिसाइलें, 25 लाइटवेट कमांड लॉन्च यूनिट, ट्रेनिंग किट, स्पेयर पार्ट्स और तकनीकी मदद शामिल है। जेवलिन दुनिया की सबसे खतरनाक कंधे पर रखकर-दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइल मानी जाती है। यह टैंक पर ऊपर से हमला करती है, जहां उसका रक्षा कवच सबसे कमजोर होता है। सैनिक इसे इमारत या बंकर के अंदर से भी दाग सकते हैं। लॉकहीड मार्टिन और आरटीएक्स कंपनी मिलकर इसे बनाती हैं।
घाेषणा के मुताबिक दूसरा सौदा 'एक्सकैलिबर स्मार्ट गोलों' का है, जिसकी कीमत लगभग 400 करोड़ रुपये है। इसमें 216 एम982ए1 एक्सकैलिबर जीपीएस गाइडेड 155 एमएम के गोले, फायर कंट्रोल सिस्टम, प्राइमर और प्रोपेलेंट चार्ज शामिल हैं। ये गोले 40-50 किलोमीटर दूर तक बिल्कुल सटीक निशाना लगाते हैं।
भारतीय सेना पहले से ही अपने एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों में इनका इस्तेमाल कर रही है। इन्हें भी आरटीएक्स कंपनी बनाती है।
इस बीच अमेरिकी सरकार ने कहा है कि ये हथियार भारत को “वर्तमान और भविष्य के खतरों” से निपटने में मदद करेंगे और देश की सीमा सुरक्षा को और मजबूत बनाएंगे। साथ ही उसने यह साफ किया कि इससे क्षेत्रीय संतुलन नहीं बिगड़ेगा।
यह मंजूरी ऐसे समय आई है जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बना हुआ है और पाकिस्तान से भी वह लगातार खतरे का सामना कर रहा है। पिछले कुछ सालों में अमेरिका, भारत काे हथियाराें की आपूर्ति करने वाला तीसरा सबसे प्रमुख देश बन चुका है। हाल ही में उसे तेजस लड़ाकू विमान के लिए जीई एफ-414 इंजन का भी बड़ा ऑर्डर मिला था।
हालांकि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल