
पटना, 21 नवम्बर (हि.स.)। बिहार सरकार की नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में गृह विभाग की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी को दी गई है।
सम्राट चौधरी कोइरी कुशवाहा जाति से हैं और वह लंबे समय से भाजपा का ओबीसी चेहरा बने हुए हैं। उनका जन्म 16 नवंबर 1968 को मुंगेर के लखनपुर गांव में हुआ था। उनकी मां का नाम पार्वती देवी और पिता का नाम शकुनी चौधरी है। उनका पैतृक गांव मुंगेर जिले के तारापुर ब्लॉक के लखनपुर में है।
सम्राट चौधरी का शीर्ष राजनेता के परिवार से संबंध
सम्राट शीर्ष राजनेताओं के परिवार से हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी सात बार विधायक और सांसद रहे हैं और मां पार्वती देवी तारापुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रही हैं। अपनी बुनियादी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी शैक्षणिक योग्यता सार्वजनिक विवाद का विषय बन गई है।
साल
2025 में मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र से बिहार विधानसभा के लिए चुने जाने से पहले वे भाजपा से बिहार विधान परिषद के सदस्य थे। वे मार्च 2023 से 25 जुलाई 2024 तक भाजपा बिहार राज्य इकाई के पार्टी अध्यक्ष पद पर भी रहे हैं। सम्राट चौधरी ने 1990 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और उन्होंने 2014 में जीतन राम मांझी के मंत्रालय में शहरी विकास और आवास, स्वास्थ्य मंत्री और 1999 में राबड़ी देवी के मंत्रालय में मेट्रोलॉजी और बागवानी मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। 2 जून 2014 को उन्होंने बिहार सरकार में नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री के रूप में शपथ ली और कार्यभार संभाला।
साल 2018 में भाजपा का दामन थामा
साल 2018 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी में बिहार प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया गया।
भाजपा में शामिल होने से पहले वे राष्ट्रीय जनता दल के साथ-साथ जनता दल (यूनाइटेड) से भी जुड़े रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का स्टार प्रचारक बनाया गया था। 2021 में, सम्राट को भाजपा कोटे से नीतीश कुमार के विस्तारित मंत्रिमंडल में पंचायती राज मंत्री बनाया गया था। पंचायती राज मंत्री के रूप में सम्राट चौधरी का कार्यकाल विवादों और उनके मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में उनके द्वारा उठाए गए विकासात्मक कदमों का मिश्रण था। मार्च 2021 में, उन्होंने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ एक जोरदार बहस में उलझने के लिए देशव्यापी ध्यान आकर्षित किया।
सम्राट चौधरी को 2023 में संजय जायसवाल की जगह बिहार राज्य के लिए भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने यह कदम कोइरी या कुशवाहा जाति के मतदाताओं के बीच मजबूत आधार बनाने के लिए उठाया था, जिसका बिहार के कई जिलों में दबदबा था और राज्य में यादवों के बाद दूसरे सबसे बड़े जाति समूह के रूप में दर्ज किया गया था।
सम्राट चौधरी अपने मुखर स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। मई 2023 में, उन्होंने आरोप लगाया कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष ललन सिंह ने उनके लोकसभा क्षेत्र मुंगेर में आयोजित एक भोज में शराब परोसी है, यह जानते हुए भी कि बिहार सरकार ने 2016 से शराब पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनकी टिप्पणी के लिए, जदयू नेताओं ने उनकी आलोचना की थी। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पार्टी की एक बैठक में उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया। कुशवाहा ने यह भी टिप्पणी की कि एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद, चौधरी में एक राजनेता के लिए आवश्यक शालीनता का अभाव है।
सम्राट चौधरी ने कई बार नीतीश की आलोचना की
कई मौकों पर, चौधरी ने खुद के अलावा किसी भी कुशवाहा या कुर्मी नेता को बढ़ावा नहीं देने के लिए नीतीश कुमार की आलोचना की थी। उन्होंने कुमार पर अपने फायदे के लिए अपने साथियों का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
2024 में सम्राट चौधरी को बिहार में भाजपा के विधायक दल का नेता बनाया गया। इसके बाद विजय कुमार सिन्हा को भाजपा विधायक दल का उपनेता बनाया गया। इसके बाद 2024 में राज्य में बनने वाली नीतीश कुमार की 9वीं सरकार में सिन्हा और चौधरी को बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।
भाजपा विधायक दल का नेता चुने गए दोबारा दो दिन पूर्व सम्राट चौधरी को फिर से भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद विजय कुमार सिन्हा को भाजपा विधायक दल का उपनेता नियुक्त किया गया। सिन्हा और चौधरी ने लगातार दूसरी बार बिहार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जीत के बाद, 2025 में राज्य में नीतीश कुमार की दसवीं सरकार बनी जिसमें सम्राट को बड़ी जिम्मेवारी देते हुए गृह विभाग सौंपा गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी