बीएमएस प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय श्रम मंत्री से मुलाकात कर सौंपा विभिन्न मांगों से संबंधित ज्ञापन

21 Nov 2025 15:34:00
भारतीय मजदूर संघ का लोगो


दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से नई दिल्ली में मुलाकात की और श्रम संहिताओं को तत्काल लागू करने तथा भारतीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) को जल्द से जल्द आयोजित करने की मांग से संबंधित ज्ञापन सौंपा।

बीएमएस महासचिव रवींद्र हिमटे के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने वेतन संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता का समर्थन करते हुए कहा कि ये संहिताएं मजदूर हित में हैं और इन्हें ऐतिहासिक व क्रांतिकारी कदम माना जाना चाहिए। साथ ही बीएमएस ने औद्योगिक संबंध संहिता और ओएसएच एंड डब्ल्यूसी संहिता में मौजूद कुछ मजदूर-विरोधी प्रावधानों पर कड़ा विरोध जताया।

मंत्री मंडाविया ने प्रतिनिधिमंडल की चिंताओं पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए भरोसा दिया कि केंद्र सरकार उनकी सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी।

बीएमएस के आयोजन सचिव बी. सुरेन्द्रन, सचिव गिरीश आर्य, रामनाथ गणेश और उत्तर क्षेत्र आयोजन सचिव पवन कुमार ने श्रम मंत्री से 2016 से लंबित भारतीय श्रम सम्मेलन को अविलंब बुलाने का आग्रह किया। यह मांग सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही है।

बीएमएस की ओर से मांगी गई प्रमुख मांगों में ईपीएफ की अधिकतम सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने, ईएसआई सीमा 21,000 रुपये से बढ़ाकर 42,000 रुपये करने और बोनस की गणना 7,000 रुपये से बढ़ाकर 14,000 रुपये करना शामिल है। इसके अलावा न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने तथा इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा आयुष्मान भारत से जोड़ने जाने की मांग की गई।

प्रतिनिधिमंडल ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, मध्यान्ह भोजन कर्मी और अन्य योजना-आधारित श्रमिकों के मानदेय में वृद्धि की भी मांग की।

बीएमएस ने केंद्र सरकार से बीड़ी, बागान, निर्माण, हथकरघा, कृषि और मत्स्य पालन जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की अपील की।इसके अलावा, केंद्र सरकार और सीपीएसयू में वर्षों से काम कर रहे ठेका कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग उठाई गई।

संगठन ने यह भी कहा कि जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद बीड़ी उद्योग जैसे कल्याणकारी बोर्डों को उपकर आधारित वित्त पोषण समाप्त कर दिया गया, इसलिए पर्याप्त मुआवजे के लिए बजटीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

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