
कांठमांडू, 21 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की कैबिनेट द्वारा सिफारिश कर भेजे गए संवैधानिक परिषद संबंधी अध्यादेश जारी न करने के संकेत दिए हैं।
सरकार द्वारा भेजे गए दो अध्यादेशों में से राष्ट्रपति पौडेल ने केवल नेपाल विशेष सेवा अधिनियम संशोधन अध्यादेश को जारी किया है, जबकि संवैधानिक परिषद संबंधी अध्यादेश जारी नहीं किया।
सरकार ने प्रतिनिधि सभा विघटन के दौरान संवैधानिक आयोगों में नियुक्ति के बाद ही संसदीय सुनवाई करने की व्यवस्था करने वाला अध्यादेश राष्ट्रपति के समक्ष भेजा था, जो वर्तमान व्यवस्था — नियुक्ति से पहले अनिवार्य सुनवाई — को निष्प्रभावी बनाता है।
इससे पहले संघीय संसद के दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति के पास प्रमाणिकरण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के द्वारा भेजे गए संवैधानिक परिषद विधेयक भी राष्ट्रपति ने संविधान से असंगत बताते हुए वापस कर दिया था।
ऐसे में सरकार द्वारा फिर से अध्यादेश भेजे जाने के बाद राष्ट्रपति एक तरह के द्विविधा में पड़ गए थे। हालांकि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के कानूनी सलाहकार बाबुराम कुंवर का कहना है कि राष्ट्रपति किसी भी प्रकार के धर्मसंकट में नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति किसी धर्मसंकट में नहीं हैं। वे संविधान और कानून के आधार पर निर्णय लेते हैं। राष्ट्राध्यक्ष दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।”
कुंवर के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश का अध्ययन पूरा न होने के कारण दोनों अध्यादेश एक साथ जारी नहीं किए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास