तेल और कॉस्मेटिक उद्योग में उपयोगी जटिल तरल पदार्थों की चाल समझने में भारतीय वैज्ञानिकों को सफलता

21 Nov 2025 21:48:01
तेल और कॉस्मेटिक उद्योग में उपयोगी जटिल तरल पदार्थों की चाल समझने में भारतीय वैज्ञानिकों को सफलता


नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। देश के वैज्ञानिकों ने जटिल तरल पदार्थों (नॉन-न्यूटोनियन फ्लूड) के भीतर चलती किसी वस्तु के व्यवहार को समझने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है। इस शोध से तेल उत्पादन, कॉस्मेटिक और अन्य उद्योगों में उपयोग होने वाले साबुन या सर्फेक्टेंट आधारित तरल पदार्थों के गुणों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार बेंगलुरु के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत संचालित एक स्वायत्त संस्थान रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए रियोमीटर के भीतर एक विशेष उपकरण तैयार किया। दो सिलेंडरों के बीच तरल भरकर उसमें सुईनुमा प्रोब चलाया गया और उसके आसपास बनने वाले बल, संरचना और वेग को हाई-स्पीड ऑप्टिकल इमेजिंग से रिकॉर्ड किया गया।

वैज्ञानिकों के अनुसार सामान्य तरल जैसे पानी में कोई भी वस्तु गिरने पर अंत में ‘टर्मिनल वेलॉसिटी’ हासिल कर लेती है, लेकिन शैम्पू, तेल या पॉलिमर सॉल्यूशन जैसे तरल पदार्थों में वस्तुएं अक्सर स्थिर गति तक नहीं पहुंचतीं और अनियमित गति का प्रदर्शन करती हैं। इसका कारण इन तरल पदार्थों की स्थानीय संरचनाओं का लगातार बनना और टूटना है। शोध में पाया गया कि कम गति पर प्रोब पर लगने वाला बल स्थिर रहता है, जबकि एक निश्चित गति सीमा पार करने पर बल में तेज़ उतार-चढ़ाव शुरू हो जाता है। बल धीरे-धीरे बढ़ता है और अचानक गिर जाता है, जो बार-बार दोहरता है और ‘सॉ-टूथ’ जैसा पैटर्न बनाता है। इस दौरान प्रोब के पीछे पूंछ जैसी संरचना (वेक) बनती है, जो बल गिरने पर टूटकर अलग हो जाती है।

आरआरआई के शोधार्थी अभिषेक घराई ने बताया कि नया उपकरण जटिल तरल पदार्थों की बारीकियों को समझने के लिए पहले से अधिक लचीलापन और सटीकता प्रदान करता है।

परियोजना के प्रमुख प्रोफेसर सयंतन मजूमदार ने कहा कि जटिल सामग्रियों के अध्ययन में स्थानीय संरचना और सूक्ष्म स्तर की गतिशीलता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यह शोध ‘जर्नल ऑफ रियोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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