सिनेमा के एआई के इस्तेमाल के साथ कॉपीराइट कानून में सुधार की जरूरत

22 Nov 2025 17:56:02
Copyright Act needs to be enrich with increasing use of AI in Film Making


पणजी, 22 नवंबर (हि.स.)। फिल्मों और टेलीविजन की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के तेजी से बढ़ रहे इस्तेमाल के बीच विशेषज्ञों ने एक ओर जहां कॉपीराइट कानून में सुधार की आवश्यकता जताई है, वहीं निर्माताओं को एआई के इस्तेमाल को लेकर पूरा रिकार्ड रखने की सलाह दी है।

गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में वेव्स फिल्म बाजार में आज फिल्म निर्माण में एआई के इस्तेमाल को लेकर एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें माना गया कि फिल्म निर्माण पर अब टेक्नोलोजी हावी हो रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बन रही फिल्मों, विज्ञापनों और सीरियलों ने परंपरागत सिनेमा का बदल दिया है। पिछले दो साल में बड़ा परिवर्तन आया है अब परंपरागत कॉपीराइट के नियमों को नए सिरे से बनाना होगा।

परिचर्चा में एआई और वर्चुअल फिल्म निर्माण विशेषज्ञ मैसीज ज़ेमोजसीन ने रचनात्मक संभावनाओं और नैतिक सीमाओं के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सिनेमा पर आयोजित सेमिनार में एआई सिनेमा पर कहा कि अब भविष्य एआई का है। मैसीज पौलेंड के पहले एआई प्रोडक्शन सुपरवाईजर हैं और दुनिया के अनेक फिल्म फेस्टिवल में एआई और फिल्म निर्माण के सभी पहलुओं पर बात करते हैं।

सेमीनार के दूसरे वक्ता कान फिल्मोत्सव के कान्स नेक्स्ट के प्रोग्राम हेड स्टेन सालुवीर ने बताया कि यूरोप और अमेरिका में अब 52 फीसदी काम एआई टूल्स से किया जा रहा है, लेकिन इन फिल्मों का वितरण और दर्शकों के बीच ले जाना चुनौती रहेगा। परंपरागत फिल्म निर्माण की जगह एआई पूरी तरह तो नहीं ले सकता, पर पुरानी विधा और नयी एआई तकनीक को मिला कर चलने से फायदा होगा। एआई तकनीक को तर्कसंगत तरीके से प्रयोग करना होगा। स्टेन ने एआई फिल्म निर्माण पर एक पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी और विस्तार के बताया कि चैट जीपीटी, जैमिनी , डीप सीक, मिस्ट्राल जैसे एआई टूल खरीदने होंगे। इनमें से एक डीप सीक जो कि चीन का है फिलहाल मुफ्त सेवाएं दे रहा है।

स्टेन ने बताया कि एआई फिल्म बनाते समय निर्माता को पूरी प्रक्रिया का लिखित में दस्तावेज़ बनाना होगा। लॉग शीट बनानी होगी कि कौन सा सॉफ्टवेयर प्रयोग किया ये भी बताना होगा वरना कॉपीराइट नहीं मिलेगा। यदि आप किसी व्यक्ति विशेष पर फिल्म बना रहे हैं तो उससे क्लोन करने की अनुमति लेनी होगी।

भारत के एआई फिल्म निर्माता संजय राम ने कहा कि पिछले दो साल में भारत में भी बहुत सी एआई फिल्म निर्माण कंपनियां आई हैं। ओटीटी पर एआई से बना महाभारत सीरियल चल रहा है। भारत को ग्लोबल एआई कंपनियों के साथ मिलकर काम करना होगा। संजय राम ने कहा कि सरकार को अपने स्तर पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के टूल्स उपलब्ध करवाने होगें। जो युवा अपने स्टार्टअप बनाना चाहता है सरकार को उनको निवेश के लिए पूंजी मुहैया करानी होगी और व्यक्तिगत स्तर पर निर्माताओं को निवेश करना होगा। सबसे बडी बात है नई तकनीक सीखने के लिए निर्माताओं को समय देना होगा।

एआई तकनीक के बढ़ते प्रभाव पर फिल्म निर्माता और अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि इसका असर रोजगार पर पड़ेगा। बहुत से लोगों का बहुत सारा काम एआई टूल ही कर देंगे। फिल्म और टेलीविजन जगत में बहुत से लोगों का रोजगार चला जाएगा।

लार्सन और टूब्रो जैसी बड़ी कंपनियां भी एआई फिल्म और विज्ञापन निर्माण में आ गयी हैं। एडोबी के एआई टूल्स पर आधारित एल एंड टी माइंडट्री का क्राफ्ट स्टूडियो फिल्म निर्माताओं को एआई के माध्यम से उनकी रचनाओं में वैल्यू एडीशन दे रहा है और विज्ञापनों की कल्पनाओं को नये आयाम दे रहा है। कंपनी के डिजिटल डिजाइनर के मुताबिक एआई के इस्तेमाल से लागत में 60 प्रतिशत तक की बचत होती है। एआई डिजाइन के काम में सबसे ज्यादा खर्च टूल्स के सब्सक्रिप्शन पर आता है। यदि टूल्स सस्ते होंगे तो लागत भी कम होगी और नये रचनात्मक कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा।

गोवा में 26 जनवरी को ये कंपनी एआई के इस्तेमाल से बनीं फिल्में दिखाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया

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