ब्रसेल्स, 24 नवंबर (हि.स.)। अमेरिका की यूक्रेन शांति-योजना पर प्रमुख यूरोपीय देशों ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने गंभीर आपत्तियां जताते हुए उसमें कई संशोधन सुझाए हैं। जिनेवा में होने वाली आगामी वार्ता के लिए तैयार किए गए इस यूरोपीय मसौदे की प्रति रॉयटर्स ने देखी है।
यूरोपीय ‘ई3’ समूह द्वारा तैयार दस्तावेज़ के अनुसार, यूक्रेन की सेना पर अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 6 लाख की सीमा को बढ़ाकर 8 लाख करने का सुझाव दिया गया है, वह भी “शांतिपूर्ण समय” में। यूरोप ने अमेरिकी प्रस्ताव में शामिल उस शर्त को भी खारिज किया है जिसमें कुछ इलाकों को पहले से ही “व्यवहारिक रूप से रूसी नियंत्रण” में माना जा रहा था।
दस्तावेज में कहा गया है कि “क्षेत्रीय अदला-बदली पर वार्ता 'लाइन ऑफ कॉन्टैक्ट' से शुरू होगी”, यानी किसी भी क्षेत्र को पहले से तय रूप में रूस का मान लेने का यूरोपीय देश विरोध कर रहे हैं।
नाटो शैली की सुरक्षा गारंटी का प्रस्ताव
यूरोपीय मसौदा यह भी प्रस्तावित करता है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो के आर्टिकल-5 जैसी सुरक्षा गारंटी दे—अर्थात यदि यूक्रेन पर हमला होता है, तो अमेरिका उसकी रक्षा के लिए बाध्य होगा।
फ्रीज रूसी धन पर अमेरिकी प्रस्ताव को चुनौती
अमेरिकी योजना में पश्चिमी देशों में फ्रीज 100 अरब डॉलर से अधिक के रूसी फंड को एक अमेरिकी नेतृत्व वाली पुनर्निर्माण परियोजना में लगाने की बात कही गई थी, जिसमें होने वाले मुनाफे का 50 प्रतिशत अमेरिका को देने का प्रस्ताव था।
यूरोप ने इस मॉडल पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि-
-रूसी सम्पत्तियाँ तब तक जमी रहेंगी, जब तक रूस युद्ध में किए गए नुकसान की भरपाई नहीं करता।
-यूक्रेन के पुनर्निर्माण और मुआवज़े में इन धनराशि का अधिकतम उपयोग होना चाहिए।
-अमेरिकी प्रस्ताव में शामिल “अलग अमेरिकी-रूस निवेश संरचना” को भी यूरोप ने चुनौती दी है।
यूरोप का संशोधित मॉडल अमेरिकी ढांचे पर आधारित है, लेकिन लगभग हर बिंदु में बदलाव या हटाने का सुझाव देता है। यह संकेत है कि यूक्रेन को लेकर ट्रांस-अटलांटिक साझेदारों में गंभीर मतभेद मौजूद हैं—विशेषकर सुरक्षा गारंटी, क्षेत्रीय बातचीत और युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के वित्तीय ढांचे को लेकर।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय