लाल किले में गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत का समागम शुरू, देश-विदेश से उमड़ी श्रद्धालु संगत

23 Nov 2025 23:33:00
लाल किला परिसर में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस के पावन उपलक्ष्य में आयोजित तीन-दिवसीय समागम में शामिल हुई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। लाल किला परिसर में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस के पावन उपलक्ष्य में आयोजित तीन-दिवसीय समागम का शुभारंभ आज श्रद्धा और पूरे धार्मिक सद्भाव के साथ शुरू हो गया।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता आज रात इस भव्य कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का जीवन अत्याचार, धार्मिक असहिष्णुता और अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की पूर्ण और जीवंत मिसाल है। वे न केवल सिख धर्म के महान गुरु थे, बल्कि संपूर्ण मानवता के संरक्षक भी थे। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की। दिल्ली में ऐसा भव्य कार्यक्रम पहली बार आयोजित किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम हैं और इन्हें देखने देश-विदेश से संगत पहुंच रही है।

दिल्ली सरकार और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में देश-विदेश से आए हज़ारों श्रद्धालुओं ने शिरकत की। कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, कपिल मिश्रा के अलावा सिख समाज के गणमान्य लोग व आम जन भी भारी संख्या में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस अवसर पर गुरु साहिब के पावन चरणों में नमन करते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर का जीवन अत्याचार, अन्याय और धार्मिक असहिष्णुता के सामने अडिग साहस और अटूट त्याग की मिसाल है। उन्होंने कहा कि नौवें पातशाह ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की और मानवता को ऐसा आदर्श दिया, जो सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा। मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक अवसर को अत्यंत भावुक क्षण बताते हुए कहा कि लाल किला, जो उनकी शहादत का साक्षी रहा है, उसी स्थान पर इस भव्य स्मृति-समारोह का आयोजन होना श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत गहन अनुभव है।

मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर साहिब के अनन्य सेवकों भाई सती दास, भाई मती दास और भाई दियाला जी की शहादत को भी नमन किया और कहा कि इन सभी महापुरुषों ने सत्य, धर्म और मानवता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि आज ही के दिन दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह का गुरुता गद्दी दिवस भी है, जिससे यह अवसर और अधिक पावन और महत्वपूर्ण बन गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकार इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं दोड़ रही है।

दिल्ली सरकार और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यह सुनिश्चित कर रही हैं कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, कार्यक्रम से जुड़े सभी सेवकों का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस आयोजन को भव्यता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली और देशभर से आए श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे चित्र प्रदर्शनी और संग्रहालय में लगाई गई ऐतिहासिक प्रदर्शनी अवश्य देखें, जहां गुरु साहिब के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग और दुर्लभ तथ्य अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह अवसर दिल्ली के हर बच्चे और हर नागरिक को गुरु के जीवन, उपदेशों और शहादत की गहन विरासत से जोड़ने का अद्वितीय माध्यम है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तेग बहादुर साहिब जी की शिक्षाएं मानवता, करुणा, सहिष्णुता और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। दिल्ली सरकार ऐसे आयोजनों के माध्यम से गुरु परंपरा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी जैसी महान शहादत हुई है और इसी धरती पर उनकी अमर कथा दर्ज है। लाल किला, जिसने सदियों पहले गुरु साहिब की शहादत का वह ऐतिहासिक क्षण देखा था, आज उसी गुरु की महिमा से पुनः आलोकित हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं यह निर्देश दिए हैं कि समागम में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और हर व्यवस्था सर्वोत्तम स्तर पर हो। श्री सिरसा ने भावुक होकर कहा कि लाल किले के प्रांगण में गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवन-गाथा का इस भव्य रूप में प्रस्तुत होना अपने आप में ऐतिहासिक है। गुरु के चरणों में यह आयोजन समर्पित करना हम सभी के लिए बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने संगत का धन्यवाद करते हुए कहा कि लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस पावन अवसर को और अधिक अर्थपूर्ण बनाती है। उन्होंने दशमेश पातशाह श्री गुरु गोविंद सिंह के गुरुता गद्दी दिवस की भी सप्रेम बधाई दी और संगत से कहा कि गुरु की सेवा और श्रद्धा ही सबसे बड़ी फतेह है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

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