क्या पता कल सिंध भारत का हिस्सा बन जाए : राजनाथ सिंह

23 Nov 2025 21:27:00
राजनाथ सिंह


नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को यहां एक कार्यक्रम में विभाजन के बाद पाकिस्तान में चले जाने वाले सिंध प्रांत के अभी भी भारत से सभ्यागत तौर पर जुड़े होने की बात कही और कहा कि भले ही वह आज हमारे साथ नहीं है लेकिन भविष्य में इसके भारत से दोबारा जुड़ने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा, सिंध की भूमि आज भले ही भारत का हिस्सा ना हो लेकिन सभ्यतागत तौर पर वह हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। जहां तक सीमा का सवाल है, वह तो बदलती रहती है, क्या पता भविष्य में सिंध भारत में वापस आ जाए।”

विज्ञान भवन में विश्व सिंधी हिंदू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के 'सशक्त समाज और समर्थ भारत' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने भाजपा के शीर्ष नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि एक पुस्तक में आडवाणी जी ने कहा था कि सिंधी हिंदुओं की पीढ़ियां ने आजनतक विभाजन को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पूरे भारत में सिंधु नदी पवित्र मानी जाती है। कई मुसलमानों ने भी सिंधु जल को अत्यंत पवित्र माना है।

अपने वक्तव्य में राजनाथ सिंह ने सिंधी समाज को सशक्त बनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज संघ के इस सहयोग को कभी नहीं भुला सकता। संघ ने हिंदुओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया। स्वयं गुरूजी गोलवलकर ने आजादी से पहले सिंध प्रांत का दौरा किया, जहां उन्हें सिंधी समाज से अपार प्रेम मिला। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से सिंधी समुदाय और उनकी संस्कृति के साथ खड़ी है और भविष्य में भी खड़ी रहेगी। भारतीय जनता पार्टी हमेशा से सिंधी समाज के हक और उनकी अधिकार के पक्ष में खड़ी रही है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने 1957 में पहला गैर-सरकारी विधेयक पेश कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अटल जी ने सिंधी भाषा का समर्थन करते हुए कहा था सिंधी में भारत की आत्मा बोलती है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय वर्षों से अत्याचार सहन कर रहा है। इनमें से कई भारत भी पहुंचे हैं लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के कारण हमेशा अपमानित होना पड़ा और वह अपने आवश्यक अधिकार भी नहीं पा सके। उन्होंने कहा कि इस पीड़ा को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समझा और नागरिकता संशोधन विधेयक लेकर आए। सिंह ने सिंधी समाज के परिश्रम और साहस की सराहना की और कहा कि विभाजन के बाद सिंधी समाज ने भारत में शून्य से शुरुआत की, लेकिन सफलता के नए आयाम स्थापित किए। आज भारत ही नहीं, दुनिया भर में सिंधी समुदाय समाज निर्माण के विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इतिहास गवाह है कि भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी इन्होंने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

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