अमेरिका की गैरमौजूदगी के बावजूद जी20 को दक्षिण अफ्रीका ने बहुपक्षीय सहयोग की जीत बताया

23 Nov 2025 21:57:00
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया


जोहान्सबर्ग, 23 नवंबर (हि.स.)। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने रविवार को कहा कि जोहान्सबर्ग में हुए जी20 सम्मेलन की घोषणा बहुपक्षीय सहयोग के प्रति “नए सिरे से प्रतिबद्धता” को दर्शाती है। यह दावा उन्होंने तब किया जब सम्मेलन में कई मुद्दों पर उनका अमेरिकी नेतृत्व से टकराव हुआ और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।

रामाफोसा ने जलवायु संकट, विकासशील देशों का कर्ज बोझ और ऊर्जा संक्रमण जैसे मुद्दों को घोषणा-पत्र में शामिल कराया—अमेरिका की कड़ी आपत्तियों और उसकी अनुपस्थिति के बावजूद। सम्मेलन के समापन समारोह में उन्होंने कहा कि दुनिया के नेताओं के बीच “साझा लक्ष्य हमारे मतभेदों से कहीं ज्यादा मजबूत” हैं।

ट्रंप का बहिष्कार और विवाद की पृष्ठभूमि

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22-23 नवंबर को हुए इस अफ्रीकी महाद्वीप के पहले जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया। उनका आरोप था कि दक्षिण अफ्रीका की अश्वेत-बहुल सरकार देश की श्वेत अल्पसंख्या के साथ उत्पीड़न करती है—एक दावा जिसे पहले ही गलत साबित किया जा चुका है।

ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के ऊर्जा परिवर्तन एजेंडे, जलवायु वित्त और गरीब देशों पर कर्ज के बोझ को कम करने की योजनाओं का भी विरोध किया था। इसके बावजूद रामाफोसा ने उपस्थित देशों (अर्जेंटीना को छोड़कर) से सहमति हासिल कर ली।

घोषणा-पत्र में जलवायु संकट से लेकर कर्ज तक बड़े मुद्दे शामिल

सहमति से पारित दस्तावेज में जलवायु परिवर्तन को गंभीर चुनौती बताया गया और इसके लिए अनुकूलन, स्वच्छ ऊर्जा के बढ़ते लक्ष्य और विकासशील देशों पर भारी कर्ज बोझ पर चिंता जताई गई।

यह घोषणा ऐसे समय आई है जब यूक्रेन युद्ध ने पश्चिमी देशों में आंतरिक मतभेद पैदा कर दिए हैं, और ब्राजील में हुए सीओपी30 सम्मेलन में जीवाश्म ईंधन पर चर्चा शामिल न होने से निराशा बढ़ी है।

ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा कि जी20 और सीओपी30 दोनों ने साबित किया है कि बहुपक्षवाद “अब भी जीवित” है।

अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका के बीच कूटनीतिक तनाव

सम्मेलन के बाद अमेरिका को अगला जी20 अध्यक्ष बनना है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने ट्रंप के स्थान पर अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी को भेजने के प्रस्ताव को प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए खारिज कर दिया।

व्हाइट हाउस ने आरोप लगाया है कि दक्षिण अफ्रीका “सौम्य सत्ता हस्तांतरण” में सहयोग नहीं कर रहा।

दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने कहा, “हमें अभी तक कोई औपचारिक संदेश प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन हम तैयार हैं… निर्णय उनकी तरफ से होना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त की आवश्यकता को घोषणा-पत्र में शामिल किया जाना “एक बड़ी उपलब्धि” है।

सम्मेलन के इतर विश्व नेताओं ने यूक्रेन युद्ध और ट्रंप की प्रस्तावित शांति योजना पर भी चर्चा की। यह आने वाले दिनों में होने वाली कई बैठकों में पहली थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय

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