“जीआई-टैग जनजातीय कला कार्यशाला और प्रदर्शनी–सांस्कृतिक उत्सव” की शुरुआत

24 Nov 2025 20:59:00
जीई टैग कार्य़ाशाला में बोलते हुए विशेषज्ञ


नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)।

जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा समिति (नेस्ट्स) ने सोमवार को तीन दिवसीय जीआई-टैग जनजातीय कला कार्यशाला एवं प्रदर्शनी-सांस्कृतिक उत्सव का उद्घाटन किया। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में 24-26 नवंबर तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में देश भर के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के चयनित 139 छात्र, 34 कला एवं संगीत शिक्षक और 10 कुशल कारीगर भारत की भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग जनजातीय कला परंपराओं का उत्सव मनाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक साथ पहुंचे हैं।

इस मौके पर नेस्‍ट्स के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) विपिन कुमार, आईजीएनसीए के जनपद संपदा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार, नेस्‍ट्स के

संयुक्त आयुक्त (सिविल) बिपिन रतूड़ी, नेस्‍ट्स के अपर आयुक्त

प्रशांत मीणा और नेस्‍ट्स के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे। ईएमआरएस छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन

उद्घाटन सत्र में ईएमआरएस के छात्रों द्वारा जीवंत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें धेम्सा नृत्य (ओडिशा), जौनसारी नृत्य (उत्तराखंड), मिजो लोक नृत्य (मिजोरम), लोक गायन एकल (दादरा और नगर हवेली), देशभक्ति गीत (मध्य प्रदेश)

शामिल है।

जीआई विशेषज्ञ श्वेता मेनन (ट्रूली ट्राइबल) ने जीआई-टैग कलाओं के महत्व पर एक लाइव सत्र आयोजित किया। तीन दिवसीय गहन कार्यशाला में छात्र, कुशल कारीगरों के मार्गदर्शन में, गोंड, वारली, मधुबनी, पिथोरा, चेरियाल, रोगन, कलमकारी, पिचवाई, ऐपण, रंगवाली पिचोरा, कांगड़ा, बशोली, मैसूर चित्रकला, बस्तर ढोकरा और कच्छी कढ़ाई सहित पारंपरिक जीआई- मान्यता प्राप्त कला रूपों का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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