पनडुब्बी रोधी युद्धक 'माहे' नौसेना में शामिल, पश्चिमी समुद्र तट के लिए होगा 'साइलेंट हंटर'

24 Nov 2025 14:33:00
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी आईएनएस माहे को समुद्री बेड़े में शामिल करते हुए


- सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी को शिप के ऑपरेशन्स के बारे में जानकारी दी गई

नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)। पनडुब्बी रोधी युद्धपोत जलयान 'माहे' सोमवार को भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गया। सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे औपचारिक रूप से समुद्री बेड़े में शामिल किया। सेनाध्यक्ष ने कहा कि हम लद्दाख से हिंद महासागर तक सूचना युद्ध से लेकर संयुक्त तर्क तक हर क्षेत्र में एक ऑपरेशनल आंख हैं, ऑपरेशन सिंदूर उस तालमेल का एक उपयुक्त उदाहरण था। यह युद्धपोत पश्चिमी समुद्र तट पर एक 'साइलेंट हंटर' के रूप में भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करेगा।

कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में निर्मित माहे श्रेणी के पहले पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) माहे को आज मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना के समुद्री बेड़े में सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शामिल किया। यह नौसेना के जहाजों के डिजाइन एवं निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का अत्याधुनिक उदाहरण है। यह जहाज छोटा होते हुए भी शक्तिशाली है और चपलता, सटीकता एवं सहनशक्ति का प्रतीक है, जो तटीय क्षेत्रों पर प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आवश्यक गुण माने जाते हैं।

सीएसएल के मुताबिक इसका निर्माण 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामग्री से हुआ है। मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर बने इस जहाज के शिखर पर 'उरुमी' अंकित है, जो कलारीपयट्टू की लचीली तलवार है, जो चपलता, सटीकता एवं घातकता का प्रतीक है। माहे का जलावतरण स्वदेशी उथले पानी के लड़ाकू विमानों की एक नई पीढ़ी के आगमन का प्रतीक है। इस जहाज में फुर्ती, सटीकता और सहनशक्ति है, ये खूबियां समुद्र के किनारे बसे इलाकों पर कब्जा करने के लिए बहुत जरूरी हैं। अपनी फायरपावर, स्टेल्थ और मोबिलिटी के मेल के साथ इस जहाज को सबमरीन का शिकार करने, तटीय गश्त करने और भारत के जरूरी समुद्री रास्तों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की मौजूदगी में सेनाध्यक्ष जनरल द्विवेदी ने आईएनएस माहे का गाइडेड टूर किया। आर्मी चीफ को युद्धपोत के ब्रिज पर ले जाया गया और उन्हें शिप के ऑपरेशन्स के बारे में डिटेल में जानकारी दी गई, जिसमें इसकी एडवांस्ड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर कैपेबिलिटी भी शामिल थीं। उन्होंने कहा कि वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट नौसेना में लगातार बदलाव का प्रतीक है, जो अपने कॉम्बैट प्लेटफॉर्म खुद डिजाइन करता और बनाता है। वॉरशिप और सबमरीन से लेकर हाई सोनार और वेपन सिस्टम तक इंडियन शिपयार्ड, पब्लिक और प्राइवेट, हमारे देश के इंडस्ट्रियल और टेक्नोलॉजिकल दबदबे का जीता-जागता सबूत हैं।

उन्होंने कहा कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड से आईएनएस माहे की सफल आपूर्ति व्यावसायिकता की मिसाल है। आज से जिम्मेदारी का बोझ आईएनएस माहे के कमांडिंग ऑफिसर और कमीशनिंग क्रू के कंधों पर है। आप इसकी स्पिरिट, इसके डिसिप्लिन और इसकी लड़ाई की धार के कस्टोडियन हैं। देश चैन से सोएगा, क्योंकि आप जागते रहेंगे और भारत का तिरंगा समंदर में ऊंचा लहराएगा, क्योंकि आप इसकी रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि समुद्र, जमीन और आसमान राष्ट्रीय सुरक्षा का एक ही ढांचा बनाते हैं और सेना, नौसेना और वायु सेना मिलकर भारत की रणनीतिक ताकत की त्रिमूर्ति बनाते हैं। बहु-डोमेन संचालन के इस युग में महासागर की गहराई से लेकर उच्चतम सीमा तक एकसाथ कार्य करने की हमारी क्षमता हमारे गणराज्य की सुरक्षा निर्धारित करेगी। -----------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

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