नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)। भारत ने चीन के शंघाई हवाईअड्डे पर एक अरुणाचल निवासी महिला को रोकने के मामले में कड़ा प्रतिवाद दर्ज किया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और उसके निवासी भारतीय पासपोर्ट के आधार पर पूर्ण वैधता के साथ यात्रा करने के हकदार हैं।
तीन घंटे के ट्रांजिट के दौरान हुई यह घटना महिला के लिए 18 घंटे की परेशानी में बदल गई थी। भारत ने साफ कहा है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, ऐसे में इस तरह की घटनाएं प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा उत्पन्न करती हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय ने घटना के दिन ही बीजिंग और दिल्ली में चीनी अधिकारियों के समक्ष सशक्त डिमार्शे दर्ज किया।
मंत्रालय ने रेखांकित किया कि यात्री को तर्कहीन आधारों पर हिरासत में लिया गया और यह स्वीकार्य नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने यह भी जोर देकर कहा कि चीनी अधिकारियों की कार्रवाई शिकागो और मॉन्ट्रियल नागरिक उड्डयन कन्वेंशनों के उल्लंघन के अंतर्गत आती है।
उल्लेखनीय है कि चीन समय–समय पर अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर इस तरह की हरकतें करता रहता है।
यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली प्रेमा थोंगदोक को शंघाई हवाईअड्डे पर रोक लिया गया था। उनके पास मौजूद भारतीय पासपोर्ट में जन्मस्थान के रूप में अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख था।
आरोप है कि इसी आधार पर चीनी अधिकारियों ने उनके दस्तावेज को अमान्य बताया।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा