उच्च शिक्षा संस्थानों ने छात्र कल्याण को दिया नया आयाम, आईआईटी बॉम्बे में सम्पन्न हुआ दूसरा राष्ट्रीय वेलबीइंग कॉन्क्लेव

24 Nov 2025 20:43:00
22-23 नवंबर को आईआईटी बॉम्बे में हुए दूसरे नेशनल वेलनेस कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह की फोटो


नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)। देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य और छात्र कल्याण को केंद्र में लाने के उद्देश्य से दूसरा राष्ट्रीय वेलबीइंग कॉन्क्लेव 22–23 नवंबर को आईआईटी बॉम्बे में सफलतापूर्वक आयोजित हुआ। इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने छात्र मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श प्रणालियों, संस्थागत जवाबदेही और समग्र कल्याण जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडा के रूप में मजबूत दिशा प्रदान की।

शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कॉन्क्लेव का सबसे बड़ा परिणाम मानसिक स्वास्थ्य को उच्च शिक्षा के भीतर एक अनिवार्य संस्थागत तत्व के रूप में स्थापित करने की दिशा में सहमति बनना रहा। विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने माना कि कैंपस स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना, शुरुआती पहचान और हस्तक्षेप तंत्र विकसित करना तथा स्थायी सहायता प्रणालियों का निर्माण तत्काल आवश्यकता है। इसी के साथ, कॉन्क्लेव ने विश्वविद्यालयों के बीच सहयोगात्मक ढांचे—इंटर-इंस्टीट्यूशनल पार्टनरशिप मॉडल—को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया, ताकि कल्याण संबंधी सेवाएं अधिक प्रभावी और व्यापक हो सकें।

कार्यक्रम के दौरान देशभर के शिक्षकों और काउंसलरों के बीच एक पेशेवर वेलबीइंग कम्युनिटी की नींव भी रखी गई। इस समुदाय का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में कल्याण से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान, संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करना और छात्र सहायता प्रणाली को एकरूप बनाना है। कॉन्क्लेव में 2025–26 के लिए साझा राष्ट्रीय कार्ययोजना (इंटर-यूनिवर्सिटी एक्शन प्लान) भी तैयार की गई, जिसमें डिजिटल वेलबीइंग, जीवन कौशल प्रशिक्षण, काउंसलिंग क्षमता निर्माण, पीयर सपोर्ट नेटवर्क और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों को मजबूत करने की रूपरेखा शामिल है।

कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में “कम्पेंडियम ऑफ इमर्जिंग बेस्ट प्रैक्टिसेज ऑफ वेल-बीइंग 2.0” भी जारी किया गया, जिसमे देशभर के संस्थानों द्वारा लागू की गई सफल और दोहराई जा सकने वाली पहलों का संकलन है। यह दस्तावेज़ उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए उपयोगी मार्गदर्शक सिद्ध होगा।

कॉन्क्लेव में पहले राष्ट्रीय वेलबीइंग कॉन्क्लेव (2024) के प्रभाव का भी उल्लेख किया गया, जिसमें आईआईटी हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान छात्र कल्याण को सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया गया था। उस कार्यक्रम की प्रमुख सिफारिशें—पेशेवर काउंसलिंग प्रणाली, छात्र प्रतिनिधित्व, फैकल्टी और स्टाफ कल्याण, तथा बाहरी विशेषज्ञों के साथ सहयोग—अब देशभर के संस्थानों में अपनाई जा रही हैं। ये सुझाव जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी 15 सूत्रीय दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं और सुधारों की दिशा तय कर रहे हैं।

दो दिवसीय कॉन्क्लेव में 80 उच्च शिक्षा संस्थानों के 115 शिक्षकों और 139 छात्रों ने भाग लिया। इसमें परामर्श प्रणालियों, डिजिटल वेलबीइंग, संस्थागत भूमिकाओं और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। दूसरे दिन आयोजित कार्यशालाओं में छात्रों और शिक्षकों को जीवन कौशल, काउंसलिंग क्षमता, पीयर सपोर्ट और डिजिटल वेलबीइंग जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया।

समापन सत्र में शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव रीना सोनवाल कौली की अध्यक्षता में अंतिम सिफारिशें और आगामी वर्ष की कार्ययोजना की घोषणा की गई। दूसरा राष्ट्रीय वेलबीइंग कॉन्क्लेव इस बात का प्रमाण बना कि देश के उच्च शिक्षा संस्थान छात्रों और शिक्षकों की समग्र भलाई के लिए एकजुट हैं और एक अधिक समावेशी, जवाबदेह तथा मानसिक स्वास्थ्य-केंद्रित शैक्षणिक वातावरण के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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