पूर्वोत्तर के ‘ब्ने मेनाशे’ समुदाय के लोग मूलतः यहूदी, अब इजरालय में बसेंगे

26 Nov 2025 20:13:00
MEA Spokesperson Randhir Jaiswal


नई दिल्ली, 26 नवंबर (हि.स.)। इजरायल पूर्वोत्तर भारत के ‘ब्ने मेनाशे’ समुदाय के 5,800 सदस्यों को 2030 तक अपने यहां बसाने जा रहा है। इस विषय में विदेश मंत्रालय का कहना है कि बहुत से लोग भावनात्मक और आर्थिक कारणों से विदेश जाकर बसते हैं। यह उन लोगों पर निर्भर करता है कि वे क्या करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में इससे जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में यह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत और इज़राइल के बीच हजारों वर्षों से सांस्कृतिक जुड़ाव रहा है और इसी कारण वर्षों में लोगों का आवागमन तथा यहूदी विरासत से संबंध मजबूत रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ रिपोर्टों में भारत के एक गुमनाम क़बीले के इज़राइल जाने की बात संज्ञान में आई है। भारत का प्रवासी समुदाय विश्वभर में फैला है और लोग विभिन्न कारणों से विदेश यात्रा करते हैं। यह उनका निजी निर्णय है और वे अपनी सुविधानुसार तय करते हैं कि उन्हें क्या करना है।

उल्लेखनीय है कि इज़राइल सरकार ने रविवार को घोषणा की कि वह मिजोरम और मणिपुर के ‘ब्ने मेनाशे’ समुदाय के लगभग 5,800 लोगों को चरणबद्ध तरीके से उत्तर इज़राइल के गलील क्षेत्र में बसाएगी। यह क्षेत्र हाल के वर्षों में हिज़्बुल्लाह के साथ संघर्ष से प्रभावित रहा है और यहां से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले को ‘महत्वपूर्ण और जियोनिस्ट’ करार देते हुए कहा कि इससे इजरायल के उत्तरी हिस्से को मजबूती मिलेगी। सरकार का मानना है कि समुदाय के बसने से क्षेत्र में जनसंख्या स्थिरता और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि ‘ब्ने मेनाशे’ पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर और मिजोरम का एक यहूदी समुदाय है, जो खुद को बाइबिल में वर्णित ‘मेनाशे’ जनजाति का वंशज मानते हैं। वे दावा करते हैं कि लगभग 2,700 साल पहले असीरियों द्वारा निर्वासन के बाद उनके पूर्वज मध्य एशिया और चीन के रास्ते होते हुए भारत के पूर्वोत्तर में आ गए थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

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