मणिपुर में वैज्ञानिकों को मिला 37,000 साल पुराना बांस का तना

युगवार्ता    27-Nov-2025
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37000 साल पुराना


नई दिल्ली, 27 नवंबर (हि.स.)।

मणिपुर की इम्फाल घाटी में चिरांग नदी के किनारे वैज्ञानिकों को 37,000 साल पुराना बांस का तना मिला है।

यह बांस बहुत खास है, क्योंकि इसमें कांटों के निशान पाए गए हैं। बांस के ऐसे जीवाश्म बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं, क्योंकि बांस जल्दी सड़ जाता है।

इस खोज को एशिया में मिला सबसे पुराना कांटेदार बांस माना जा रहा है। इससे पता चलता है कि उस समय (बर्फ़ युग) भी बांस अपने बचाव के लिए कांटों का इस्तेमाल करता था।

लखनऊ के बिरबल साहनी जीवाश्म विज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) के वैज्ञानिकों ने इस बांस का अध्ययन किया और इसकी पहचान चीमोनोबैम्बूसा नामक प्रजाति से मिलती-जुलती बताई। आधुनिक कांटेदार बांस की प्रजातियों से तुलना करके वैज्ञानिक यह समझ पाए कि पुराने समय में इन पौधों की रक्षा-प्रणाली (डिफेंस सिस्टम) कैसी होती थी।

इस अध्ययन को पेलियोबॉटनी और पैलीनोलॉजी नाम की वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह खोज बताती है कि बांंस है जो दिखाता है कि उस समय भी बांस ने अपने बचाव के लिए कांटों का इस्तेमाल किया।

यह जीवाश्म इसलिए भी खास है क्योंकि यह उस दौर से आता है जब दुनिया का मौसम बहुत ठंडा और सूखा था। इन कठोर परिस्थितियों में यूरोप जैसे कई क्षेत्रों से बांस लगभग गायब हो गया था। लेकिन पूर्वोत्तर भारत में मौसम अनुकूल था, इसलिए यहां बांस बचा रहा। यह खोज सिर्फ एक पौधे की कहानी नहीं है, बल्कि एशिया की पुरानी जलवायु और जैव-विविधता इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह शोध एस भाटिया, पी कुमारी, एनएच सिंह औऱ जी श्रीवास्तव ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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