
स्ट्रासबर्ग (फ्रांस), 26 नवंबर (हि.स.)। यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने घोषणा की है कि यूरोप यूक्रेन को “हर कदम पर” समर्थन देगा और रूस पर दबाव बनाए रखेगा, जब तक कि एक “न्यायपूर्ण और स्थायी शांति” स्थापित नहीं हो जाती। उन्होंने अमेरिका की ओर से पेश किए गए संशोधित शांति प्रस्ताव को युद्ध समाप्ति की दिशा में “एक शुरुआती बिंदु” बताया।
ईयू संसद को संबोधित करते हुए वॉन डेर लेयेन ने कहा, “मैं शुरुआत से स्पष्ट करना चाहती हूं—यूरोप यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा और पूरी तरह समर्थन करेगा।”
अमेरिका द्वारा रूस की शर्तों के अधिक नजदीक माने जा रहे एक प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद यूरोप यूक्रेन को मज़बूत समर्थन देने और कूटनीतिक प्रभाव बनाए रखने में जुटा है। ईयू प्रमुख ने बताया कि अमेरिका के प्रस्ताव में सुधार के लिए चल रही बातचीत संभावित समझौते की दिशा में आधार तैयार कर रही है, लेकिन यह भी चेतावनी दी कि रूस अभी भी युद्ध खत्म करने की वास्तविक इच्छा नहीं दिखा रहा।
उन्होंने कहा, “हाँ, स्थिति अस्थिर है। हां, हालात खतरनाक हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यहां महत्वपूर्ण प्रगति की संभावना भी मौजूद है।”
इस बीच EU रूस की जमी हुई संपत्तियों का उपयोग कर 140 अरब यूरो के कर्ज़ पैकेज का मसौदा तैयार कर रहा है, ताकि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके। लेकिन बेल्जियम—जहां अधिकांश संपत्तियां रखी गई हैं—इस योजना पर हिचकिचाहट दिखा रहा है, जिसके कारण प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पा रहा।
वॉन डेर लेयेन ने कहा, “स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूं—ऐसा कोई परिदृश्य नहीं है जिसमें केवल यूरोपीय करदाताओं पर पूरा बोझ डाला जाए।”
उम्मीद है कि दिसंबर में होने वाले EU शिखर सम्मेलन में सदस्य देश इस कर्ज़ योजना को मंज़ूरी दे देंगे।
अमेरिका की सक्रिय कूटनीति के बीच EU के विदेश मंत्रियों ने भी यूक्रेन पर अपनी रणनीति तय करने के लिए आपात बैठक की। EU की विदेश नीति प्रमुख काया कल्लास ने कहा कि रूस को वास्तविक बातचीत की स्थिति में लाने के लिए यूक्रेन को समर्थन और मजबूत करना जरूरी है।
कल्लास ने कहा, “हमें उस स्थिति तक पहुंचना है जहां रूस बातचीत का नाटक करने के बजाय वास्तव में बातचीत करने के लिए मजबूर हो।”
उन्होंने जमी हुई रूसी संपत्तियों को यूक्रेन के लिए उपयोग करने की मंजूरी “तेजी से” देने की जरूरत बताई।
“यह मॉस्को को सबसे मजबूत संदेश देगा कि वह हमें थका नहीं सकता,” उन्होंने कहा।
कल्लास ने यह भी कहा कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की सेना पर प्रतिबंध लगाने की बात उचित नहीं होगी, क्योंकि रूस ही आक्रामक पक्ष है।
“ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि रूस क्या प्रतिबंध और रियायतें देने को तैयार है, ताकि वह आगे आक्रमण न कर सके,” उन्होंने जोड़ा।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय