मुस्कान के साथ गलतियों को स्वीकारते हुए वर्तमान पर फोकस करना जीत का मंत्र : तीरंदाज अंशिका

28 Nov 2025 13:58:01
तीरंदाज अंशिका कुमारी


जयपुर, 28 नवंबर (हि.स.)। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान 2025 की महिला रिकर्व फाइनल में अंशिका कुमारी का दूसरा सेट बेहद खराब रहा। आमतौर पर ऐसी शूटिंग किसी भी तीरंदाज के आत्मविश्वास को हिला सकती है, लेकिन लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) की 23 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखते हुए कोचों से बात की और सकारात्मक सोच के सहारे अगले दो सेट आसानी से जीतकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया।

अंशिका का यही रवैया न सिर्फ इस फाइनल में उनकी जीत की कुंजी बना, बल्कि पिछले 12 महीनों में उनके करियर की दिशा बदलने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। अंशिका ने साई मीडिया से कहा, “एक समय था जब मैं हर हारे हुए मैच के बाद हंस देती थी और सोचती थी कि यह भी नहीं था मेरे लिए, अब इससे बुरा क्या होगा। चलो अगले पर फोकस करो। दिन के अंत में बात सिर्फ वर्तमान पर ध्यान रखने की है—एक-एक तीर पर ध्यान देने की, और तनाव को मुस्कान में उड़ाने की। यही मैंने फाइनल में किया।”

दूसरे सेट में क्या गलत हुआ, इस पर अंशिका ने बताया कि वह यह समझ नहीं पा रही थीं कि उनका तीर टारगेट पर कहां लगा क्योंकि उनके कोच के पास उस समय टेलीस्कोप नहीं था। उन्होंने कहा, “उस सेट के बाद हमें टेलीस्कोप मिला, लेकिन मैंने तब तक सिर्फ सांसों और अगले तीर पर फोकस किया। खुश हूं कि अंत में जीत पाई।” अंशिका कहती हैं, “मैंने अपनी हर असफलता से सीखा और हर हारे हुए मैच को तकनीक सुधारने का मौका बनाया।” इसी सीख का फायदा उन्हें इस साल तीनों विश्व कप में भाग लेने का अवसर मिला।

अंशिका मूल रूप से बिहार की हैं, लेकिन पिता के भारतीय नौसेना में होने के कारण देशभर में रहीं। यह स्थिरता उन्हें एक दिन में नहीं मिली। मुंबई के स्कूल में तीरंदाजी शुरू करने के बाद शुरुआती सफलताओं ने उम्मीदें बढ़ाईं, मगर राष्ट्रीय टीम की जगह उन्हें बार-बार छूटती रही। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेशनल्स में स्वर्ण जीतने वाली पहली केंद्रीय विद्यालय की तीरंदाज बनने के बाद उन्होंने साई अकादमी के ट्रायल दिए और फिर वहीं प्रशिक्षण शुरू किया। कुछ ही वर्षों में साई कोलकाता में चयन तक का सफर तय करने के बावजूद राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिल रही थी। हालांकि, यह वर्ष उनके लिए निर्णायक साबित हुआ।

जयपुर में भी उन्होंने यही मानसिकता दिखाई। व्यक्तिगत फाइनल के तुरंत बाद मिश्रित टीम इवेंट में उनका प्रदर्शन औसत रहा और वे स्वर्ण से चूक गईं। लेकिन वहीं उन्होंने अपने ड्रॉ टेक्नीक पर काम किया और एलपीयू को रिकर्व टीम का स्वर्ण दिलाकर प्रतियोगिता का समापन किया।

हाल ही में खेले इंडिया ज़ोनल ओपन जीतने वाली अंशिका अब 2026 में अपनी रैंकिंग और प्रदर्शन को और ऊंचा ले जाने पर ध्यान दे रही हैं। उनका अगला बड़ा लक्ष्य—एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह पाना।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे

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