शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक : प्रधानमंत्री मोदी

28 Nov 2025 14:10:01
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को उडुपी स्थित श्रीकृष्ण मठ में आयोजित लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए


उडुपी, 28 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भगवद्गीता का संदेश केवल अध्यात्म नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण और मानव कल्याण का शाश्वत मार्गदर्शन देता है। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में जो उपदेश दिए, वह बताते हैं कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए कभी-कभी अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक होता है। यही भाव आज भारत की सुरक्षा नीति में भी परिलक्षित होता है, जिसमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के साथ ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ का मंत्र भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी स्थित श्रीकृष्ण मठ में आयोजित लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत शांति और करुणा का संदेश दुनिया तक पहुंचाता है, लेकिन जब राष्ट्र की सुरक्षा पर संकट आता है तो देश सुदृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जवाब देने में भी पीछे नहीं रहता। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से घोषित ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण स्थलों और औद्योगिक क्षेत्रों के चारों ओर ऐसी सुरक्षा दीवार खड़ी करना है, जिसे दुश्मन भेद न सके।

उन्होंने कहा कि यदि दुश्मन हमले का दुस्साहस करता है तो भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ उसे ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिदूंर में भी देश ने आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता दिखाई। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई देशवासियों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पहले ऐसी घटनाओं के बाद सरकारें अक्सर हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाती थीं, लेकिन “नया भारत” न तो दबाव में झुकता है और न ही अपने नागरिकों की सुरक्षा के कर्तव्य से पीछे हटता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ जैसी नीतियों की प्रेरणा भी श्रीकृष्ण की शिक्षाओं से मिलती है। श्रीकृष्ण गरीबों की सहायता और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचने का संदेश देते हैं। यही प्रेरणा आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के मूल में है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का संदेश नारी सम्मान और नारी सुरक्षा का भी आधार है और इसी भावना ने देश को नारीशक्ति वंदन अधिनियम जैसा ऐतिहासिक निर्णय लेने की शक्ति दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण सभी के कल्याण की बात करते हैं और इसी भावना ने भारत को वैक्सीन मैत्री, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और वसुधैव कुटुम्बकम जैसी वैश्विक पहलों में अग्रणी बनाया। उन्होंने कहा कि गीता के शब्द केवल दिशा नहीं दिखाते, बल्कि देश की नीतियों के लिए प्रेरक शक्ति भी बनते हैं।

अयोध्या में हाल ही में स्थापित धर्म ध्वजा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन दिन पहले वह राम जन्मभूमि मंदिर में थे और आज उडुपी की इस पवित्र भूमि पर आने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में उडुपी की बड़ी भूमिका रही है और यहां आने पर उन्हें आध्यात्मिक संतोष की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि मंदिर के परिसर में माधवाचार्य को समर्पित विशेष आर्च गेट इस संबंध को और अधिक पवित्र बनाता है।

मोदी ने कहा कि एक लाख लोगों द्वारा एक साथ गीता के श्लोकों का पाठ केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि भारत की हजारों वर्षों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत स्वरूप है। जब इतने लोग एक स्वर में मंत्रोच्चार करते हैं तो उससे निकलने वाली दिव्य ऊर्जा मन और मस्तिष्क को नया स्पंदन देती है। उन्होंने रामचरित मानस के दोहे ‘कलियुग केवल हरि गुन गाहा, गावत नर पावहिं भव थाहा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि गीता और भक्ति का मार्ग मानव समाज को नई दिशा देता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उडुपी सुशासन का एक ऐतिहासिक केंद्र रहा है। साल 1968 में जब जनसंघ के वीएस आचार्य को नगर पालिका परिषद् में विजय मिली, तभी यहां से अच्छे प्रशासन की एक नई परंपरा की शुरुआत हुई। उन्होंने बताया कि उनका जन्म भले गुजरात में हुआ हो लेकिन गुजरात और उडुपी के बीच आध्यात्मिक संबंध बहुत गहरे रहे हैं। परंपरा है कि यहां स्थित श्रीकृष्ण की प्रतिमा की पूजा पहले द्वारका में माता रुक्मिणी करती थीं। बाद में माधवाचार्य ने इस विग्रह को उडुपी में स्थापित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष उन्होंने समुद्र के भीतर स्थित श्री द्वारका जी का भी दर्शन किया था और वहां से प्राप्त आध्यात्मिक ऊर्जा आज भी उन्हें प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि इस प्रतिमा के दर्शन ने उन्हें आत्मीय और आध्यात्मिक आनंद प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान को आज राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन उडुपी ने इसे पांच दशक पहले ही अपनाया था। 1970 के दशक में जलापूर्ति और ड्रेनेज प्रणाली के नए मॉडल की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उडुपी आकर गीता के मंत्रों के बीच, संतों और गुरुजनों के आशीर्वाद से उन्हें अनेक पुण्यों की अनुभूति होती है। आज का यह अवसर केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति का वैश्विक संदेश है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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