पश्चिम बंगाल में एसआईआर में अनियमितताओं को लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन

03 Nov 2025 19:24:00
पश्चिम बंगाल में एसआईआर में अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग से मिलने के बाद  भाजपा प्रतिनिधिमंडल  मीडिया से बात करते हुए


नई दिल्ली, 3 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया निष्पक्षता और सतर्कता के साथ की जानी चाहिए।

भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य में बड़ी संख्या में जाली और बैकडेटेड दस्तावेज जारी किए जा रहे हैं, जिनका उपयोग अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए किया जा रहा है। पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं के तहत दस्तावेज़ों का दुरुपयोग बढ़ा है। इस प्रतिनिधिमंडल में पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, भाजपा आई सेल के प्रमुख अमित मालवीय, भाजपा महासचिव ओम पाठक और सांसद बिप्लब देव शामिल थे।

भाजपा प्रतिनिधिमंडल की चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से सभी विसंगतियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया। हमने पश्चिम बंगाल की स्थिति से आयोग को अवगत कराया है। हमें विश्वास है कि चुनाव आयोग उचित कार्रवाई करेगा। समिक भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में ठीक से एसआईआर होनी चाहिए। यह पूरे भारत में हो रहा है, लेकिन बीएलओ पश्चिम बंगाल के अलावा कहीं और सुरक्षा की मांग क्यों नहीं कर रहे हैं। वे पश्चिम बंगाल में सीआईएसएफ की मांग क्यों कर रहे हैं? हम चुनाव के लिए तैयार हैं। पश्चिम बंगाल की जनता ने ठान लिया है कि वे ममता बनर्जी के हिंसा राज को खत्म करके ही रहेंगे।

भाजपा ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए चुनाव आयोग से आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल की परिस्थितियों को देखते हुए राज्य के लिए विशेष सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं।

प्रमुख सुझावों में 24 जून 2025 के बाद जारी जन्म प्रमाणपत्रों को स्वीकार न किया जाए, आवश्यकता होने पर केवल बूथ स्तर अधिकारियों द्वारा सत्यापन के बाद ही स्वीकार किया जाए, केवल ग्रुप-ए अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र ही मान्य हों और हर प्रमाणपत्र का सत्यापन जारी करने वाले अधिकारी से किया जाए। बिना क्षेत्रीय जांच के जारी जाति प्रमाणपत्रों को अस्वीकार किया जाए; साथ ही ओबीसी-ए श्रेणी से संबंधित प्रमाणपत्रों की जांच लंबित न्यायिक निर्णय तक रोकी जाए।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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