मप्र के बालाघाट के जंगलों में नक्सलियों से मुठभेड़, सुरक्षा बलों का बड़ा अभियान जारी

04 Nov 2025 13:50:01
नक्‍सलियों से निपटने बालाघाट के जंगलों में उतरे सुरक्षा बल


बालाघाट, 04 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में एक बार फिर गोलियों की गूंज सुनाई दी है। बालाघाट जिले के कटेझिरिया और पचामा के घने जंगलों में सोमवार देर रात से पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ चल रही है। मंगलवार सुबह तक इस गोलीबारी ने इलाके में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस और विशेष बलों के लगभग 800 जवान इस समय जंगलों में सर्च ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। पूरा क्षेत्र सुरक्षा घेरे में है, ताकि नक्सली किसी भी संभावित जगह से निकल न सकें।

पुलिस को रविवार देर शाम कटेझिरिया और पचामा के जंगलों में नक्सलियों की सक्रियता की सूचना मिली थी। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने रात में ऑपरेशन शुरू किया। जैसे ही सर्चिंग टीम आगे बढ़ी, अचानक घात लगाए बैठे नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई की। यह मुठभेड़ करीब तीन घंटे तक चलती रही।

इस आपरेशन के बाबत एएसपी आदर्शकांत शुक्ला ने बताया कि रात करीब 11 से 12 बजे के बीच सर्चिंग टीम को लगभग पांच नक्सली दिखाई दिए। उन्होंने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी फायरिंग हुई। अंधेरा और जंगल की जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण ऑपरेशन रातभर चलता रहा। हालांकि अभी तक किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि कुछ नक्सली घायल हो सकते हैं।

नक्सलियों के ठिकाने से बरामद सामग्री

मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया है। जंगल से पुलिस को हथियार, बैग, नक्सली साहित्य और दवाइयां मिली हैं। इनसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि नक्सली जल्दबाजी में अपना सामान छोड़कर भाग निकले। अधिकारियों का कहना है कि बरामद वस्तुओं से यह भी संकेत मिला है कि समूह के कुछ सदस्य घायल हैं और आसपास के क्षेत्रों में छिपे हो सकते हैं।

मुठभेड़ के बाद अब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने रणनीतिक और तकनीकी स्तर पर अभियान को तेज कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि जंगल के हर हिस्से में ड्रोन सर्विलांस, सैटेलाइट इमेजिंग और स्थानीय मुखबिर नेटवर्क की मदद से नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। राज्य सरकार ने भी इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि “नक्सल गतिविधियों को जड़ से खत्म करने के लिए हमें लंबी और सतत रणनीति पर काम करना होगा। बालाघाट और मंडला जिलों को अब ‘हाई-सेंसिटिव जोन’ घोषित किया गया है, जहां विशेष बलों की तैनाती बढ़ाई जा रही है।”

बालाघाट एसपी ने बताया, “सुरक्षा बलों ने तकनीकी साक्ष्यों और मुखबिर नेटवर्क के आधार पर सावधानीपूर्वक कार्रवाई की। हमारी टीमों ने नक्सलियों के नेटवर्क का काफी हिस्सा ध्वस्त कर दिया है। जानकारी के आधार पर अन्य राज्यों में सक्रिय एजेंटों और सप्लाई चैन के बारे में भी अहम सुराग हाथ लगे हैं। आगे की जांच जारी है और हर गतिविधि पर हमारी पैनी नजर है।”

पिछली बड़ी कार्रवाई

कटेझिरिया का यह वही जंगल है जहां 14 जून 2025 को सुरक्षाबलों ने 14-14 लाख रुपये के इनामी चार नक्सलियों रीता उर्फ तुब्बी श्रीरांगु हिडामी, रवि, तुलसी उर्फ विमला उर्फ ईमला और सुमन को मार गिराया था। उस घटना के बाद से ही नक्सलियों की गतिविधियों में कमी आई थी, लेकिन हाल की मुठभेड़ ने संकेत दिया है कि वे अब भी सक्रिय हैं और संगठन को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि बालाघाट पुलिस को हाल ही में नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है, जिसमें कि 14 लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली सुनीता ओयाम ने आत्मसमर्पण किया था। यह पिछले 12 वर्षों में बालाघाट में हुआ पहला नक्सली सरेंडर है। सुनीता ओयाम छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से सटे क्षेत्रों में सक्रिय थी और कई हिंसक घटनाओं में उसका नाम सामने आया था। आत्मसमर्पण के दौरान सुनीता ने बताया कि वह लगातार हिंसक जीवन से थक चुकी थी और पुलिस की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। पुलिस ने उसे सुरक्षा, पुनर्वास और स्वरोजगार की गारंटी दी है। इस कदम को नक्सल मोर्चे पर पुलिस की बड़ी नैतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

‘मुख्यधारा में वापसी’ का पुलिस का नया अभियान जारी

बालाघाट पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अब एक अनोखा अभियान शुरू किया है। इसके तहत गांव-गांव में आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व नक्सलियों की तस्वीरों और उनकी नई जिंदगी की कहानियों वाले पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों में यह संदेश दिया गया है कि “हिंसा छोड़ो, सम्मान से जीना सीखो”। पुलिस का मानना है कि जब समाज स्वयं नक्सलियों के पुनर्वास को स्वीकार करेगा, तब हिंसा पर अंकुश लगाना और आसान होगा। यह पहली बार है जब मध्य प्रदेश पुलिस ने इस तरह का सार्वजनिक प्रेरणा अभियान चलाया है, जिससे आम ग्रामीण भी इस प्रक्रिया के हिस्सेदार बन रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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