

कहा-हरित विमान ईंधन के लिए ज्ल्द नीति जारी करेगी सरकार
नई दिल्ली, 06 नवंबर (हि.स)। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने गुरुवार को कहा कि सरकार बहुत जल्द सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) पर नीति लेकर आएगी, जिससे कच्चे तेल के आयात को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने और अधिक हरित रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी। देश अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर एसएएफ का उत्पादन कर सकता है। यह ईंधन विकास बनाम स्थिरता की चुनौती से निपटने में भी मदद कर सकता है।
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आयोजित भारत सतत विमानन ईंधन शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ने यह बात कही। राममोहन नायडू ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि एसएएफ (सतत विमानन ईंधन) को अपनाने के लिए अधिक नवाचार, निवेश और सामूहिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों के अलावा निजी कंपनियों को भी एसएएफ उत्पादन में शामिल होना चाहिए। नायडू ने कहा कि कच्चे माल से लेकर ईंधन तक किसानों से लेकर विमान चालकों तक, तथा तलने से लेकर उड़ान भरने तक, वास्तव में किसने सोचा होगा कि समोसे तलने वाले भी इस पूरे वैश्विक विमानन आंदोलन (एसएएफ पर) में भाग ले सकते हैं।
नायडू ने कहा कि सरकार बहुत जल्द एक एसएएफ नीति लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि भारत में 750 मिलियन टन से अधिक बायोमास उपलब्ध है और लगभग 213 मिलियन टन अधिशेष कृषि अवशेष हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अलावा, एसएएफ किसानों की आय में 10-15 फीसदी की वृद्धि करके उन्हें सशक्त बना सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे कच्चे तेल के आयात बिल को हर साल 45-7 अरब डॉलर तक कम करने के साथ-साथ एसएएफ उत्पादन एसएएफ मूल्य श्रृंखला में 10 लाख से अधिक हरित रोज़गार सृजित करने में भी मदद कर सकता है।
केंद्रीय मंत्री नायडू ने कहा कि उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागरिक उड्डयन बाजारों में से एक है और घरेलू विमानन कंपनियों ने 1,700 से ज़्यादा विमानों के ऑर्डर दिए हैं। भारत का लक्ष्य 2027 तक जेट ईंधन में एसएएफ का 1 फीसदी, 2028 तक 2 फीसदी तथा 2030 तक 5 फीसदी मिश्रण करना है। एसएएफ का उपयोग विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) में ड्रॉप-इन ईंधन के रूप में किया जा सकता है, जो विमानों को शक्ति प्रदान करता है। वैश्विक स्तर पर 2040 तक एसएएफ की जरूरत 183 मिलियन टन होने का अनुमान है। वर्तमान में वैश्विक एसएएफ बहुत कम है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर