
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सीमा निगरानी, संचार और रक्षा नवाचार को मिलेगा नया आयाम
जोधपुर, 06 नवंंबर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (आईआईटी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारत की सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी प्रणालियों को सशक्त बनाने के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों के सह-विकास और क्रियान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी की है।
दोनों संस्थानों के बीच एक सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर बीएसएफ राजस्थान फ्रंटियर के महानिरीक्षक एमएल गर्ग और आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल के मध्य हस्ताक्षर हुए। इस मौके पर बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी और आईआईटी जोधपुर के संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। इस साझेदारी के अंतर्गत दोनों संस्थान ड्रोन और एंटी-ड्रोन तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित निगरानी प्रणाली, सुरक्षित संचार नेटवर्क, स्मार्ट बॉर्डर प्रबंधन तथा अन्य रणनीतिक नवाचारों पर संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। इसका उद्देश्य सीमाओं पर संचालन दक्षता को बढ़ाना और स्वदेशी रक्षा तकनीक के क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल करना है।
आत्मनिर्भर और प्रौद्योगिकी सशक्त भारत का निर्माण: प्रो. अग्रवालआईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि यह साझेदारी भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में वास्तविक समाधानों में रूपांतरित करेगी। यह आत्मनिर्भर और प्रौद्योगिकी सशक्त भारत के निर्माण के प्रति आईआईटी जोधपुर की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह पहल आईआईटी जोधपुर के मानेकशॉ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़ एंड रिसर्च के माध्यम से समन्वित की जाएगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वदेशी तकनीक विकास और रणनीतिक अनुसंधान के क्षेत्र में सक्रिय केंद्र है। इस सहयोग की पहल बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नई दिल्ली द्वारा की गई। इस संस्थान ने बीएसएफ की परिचालन आवश्यकताओं को आईआईटी जोधपुर की अनुसंधान विशेषज्ञता के साथ जोडऩे में प्रमुख भूमिका निभाई।
स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भरता को मिलेगा बढ़ावा: आईजी गर्गबीएसएफ राजस्थान फ्रंटियर के महानिरीक्षक एमएल गर्ग ने कहा कि आईआईटी जोधपुर के साथ हमारा यह संयुक्त प्रयास सीमा प्रबंधन तकनीकों में स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा। यह सहयोग बीएसएफ की मिशन तैयारी और निगरानी क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाएगा। यह समझौता भारत में अकादमिक संस्थानों और सशस्त्र बलों के सहयोग की दिशा में एक नई पहल है, जो घरेलू सुरक्षा तकनीकों के विकास, नवाचार और तकनीकी नेतृत्व के माध्यम से भारत की रक्षा प्रणाली को नई ऊंचााइयां प्रदान करेगा।---------------
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश