एसजीबी 2017-18 सीरीज 6 की तय हुई रिडेंप्शन प्राइस, निवेशकों को 324 प्रतिशत तक का रिटर्न

06 Nov 2025 18:28:01
एसजीबी 2017-18 सीरीज 6 के निवेशकों को 324 प्रतिशत तक का रिटर्न


नई दिल्ली, 06 नवंबर (हि.स.)। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की 2017-18 की सीरीज 6 के रिडेंप्शन के अंतिम रिडेंप्शन प्राइस का ऐलान कर दिया गया है। इस ऐलान के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस सीरीज के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स के रिडेंप्शन की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। इसके तहत एसजीबी के प्रत्येक यूनिट (ग्राम) के लिए 12,066 रुपये का मूल्य तय किया गया है।

एसजीबी की इस सीरीज के तहत गोल्ड बॉन्ड 6 नवंबर 2017 को जारी किए गए थे। आज इसकी मैच्योरिटी के आठ साल पूरे होने पर इसके रिडेंप्शन की प्रक्रिया को मंजूरी दी गई है। एसजीबी की 2017-18 की सीरीज 6 को 2,895 रुपये प्रति यूनिट (ग्राम) के मूल्य पर जारी किया गया था। इस तरह से इस सीरीज में निवेश करने वाले निवेशकों को 316.78 प्रतिशत का जबरदस्त रिटर्न मिला है। ऑनलाइन पेमेंट करने वाले निवेशकों को तो 324 प्रतिशत से भी ज्यादा का रिटर्न मिला है। इस रिटर्न में निवेश के दौरान हर साल मिलने वाला 2.5 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज शामिल नहीं है।

वित्त वर्ष 2017-18 में 6 नवंबर को जब ये बॉन्ड जारी हुआ था, तब ऑनलाइन पेमेंट करने पर निवेशकों को 50 रुपये प्रति यूनिट (ग्राम) की छूट मिलती थी। इससे ऑनलाइन पेमेंट करने वाले निवेशकों के लिए वास्तविक इश्यू प्राइस 2,845 रुपये हो गई थी। इस हिसाब से ऑनलाइन पेमेंट करने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) ने अपने निवेशकों को लगभग 324.11 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। सोने की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण निवेशकों को इस बॉन्ड से जबरदस्त फायदा मिला है।

इस संबंध मे भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी जारी होने के आठ साल बाद पूरी होती है। इसलिए सीरीज-6 का अंतिम रिडेम्प्शन 6 नवंबर 2025 तय किया गया है। रिडेम्प्शन प्राइस तय करने के लिए इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा प्रकाशित सोने के क्लोजिंग प्राइस का तीन कार्यदिवस (बिजनेस डे) - 31 अक्टूबर, 3 नवंबर और 4 नवंबर 2025 का औसत लिया गया है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) स्कीम के लिए तय किए गए नियमों के अनुसार इन बॉन्ड्स को पांच साल की अवधि पूरा होने के बाद किसी भी इंटरेस्ट पेमेंट डेट पर समय से पहले रिडीम किया जा सकता है। ऐसा होने पर निवेशक को कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ सकता है, लेकिन मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है, इसलिए बड़ी संख्या में निवेशक इसे पूरी अवधि तक होल्ड करते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) पर मिलने वाला 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्सेबल होता है। हालांकि मैच्योरिटी के समय होने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स-फ्री है। अगर कोई व्यक्ति बॉन्ड को बेचता है, तो लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है, जिससे टैक्स का बोझ कम हो जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) पर हर साल 2.5 प्रतिशत का फिक्स्ड ब्याज मिलता है, जो हर छह महीने में निवेशक के बैंक खाते में जमा होता है। ये ब्याज सोने की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से अलग होता है। निवेशकों को उनके निवेश की राशि पर ही 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है। सोने की तत्कालीन कीमत के आधार पर ये ब्याज नहीं दिया जाता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम नवंबर 2015 में लॉन्च की गई थी। इसका मकसद लोगों को फिजिकल गोल्ड खरीदने के बजाय एक सुरक्षित और आसान वित्तीय विकल्प देना था। इन बॉन्ड्स को भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार की ओर से जारी करता है। इस बॉन्ड की यूनिट ग्राम आधारित होते हैं। निवेशकों को इसमें सोने की बढ़ती कीमतों से कैपिटल गेन का फायदा तो मिलता ही है, वार्षिक आधार पर निवेशक पर 2.5 प्रतिशत का निश्चित ब्याज भी मिलता है। इस स्कीम का मुख्य लक्ष्य भारत में सोने के आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू बचतों को वित्तीय निवेश में लाना था।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक

Powered By Sangraha 9.0