



- मध्य प्रदेश की लोककला का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकार राहुल एकता नगर में 40 प्रकार के प्रतिकृति वाद्य यंत्र कर रहे हैं प्रस्तुत
अहमदाबाद, 07 नवंबर (हि.स.) | इन दिनों दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के परिसर में भारत की अनेकता में एकता की झलक देखने को मिल रही है। इन्हीं में से एक हैं, मप्र के कलाकार राहुल श्रीवास, जो आत्मनिर्भर भारत की जीवंत आवाज बने हैं। उन्होंने बेकार सामग्री से वाद्य यंत्र बनाया है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर एकता नगर में 01 से 15 नवंबर तक भव्य 'भारत पर्व' का आयोजन किया गया है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों की लोककला, संगीत और संस्कृति को यहां एक साथ प्रदर्शित किया जा रहा है। इस महोत्सव में, मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित अरेरा कॉलोनी निवासी राहुल श्रीवास भी अपनी अनूठी कला से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वे फर्नीचर के बेकार सामान से तबला, ढोलक, हारमोनियम, सितार, वीणा जैसे लगभग 40 प्रकार के छोटे वाद्य यंत्रों के साथ-साथ बीन, मोरली, जलतरंग, मृदंग, खंजरी, डफ, शंख, झालर, कीर्तल, सारंगी, शरनाई, सुरमंडल, बंसी जैसे वाद्य यंत्रों की प्रतिकृतियां बना रहे हैं।
ये प्रतिकृति वाद्य यंत्र न केवल आकर्षक दिखते हैं, बल्कि वोकल फॉर लोकल की भावना का जीवंत उदाहरण भी हैं।
संगीत प्रेमी परिवार में जन्मे राहुल श्रीवास ने मध्य प्रदेश के प्रयाग विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। शुरुआत में वे संगीत कार्यक्रमों में भाग लेते थे, लेकिन महंगे वाद्य यंत्र न खरीद पाने के कारण उन्होंने एक नई दिशा में सोचना शुरू किया।
राहुलभाई कहते हैं, चूँकि वाद्ययंत्रों की कीमतें ऊँची थीं, इसलिए उन्हें खरीदना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने फ़र्नीचर के कचरे से छोटे-छोटे प्रतिकृति वाद्ययंत्र बनाने शुरू किए। लोगों को वे वाद्ययंत्र बहुत पसंद आए और धीरे-धीरे उनकी माँग बढ़ती गई।
इस तरह, उन्होंने हस्तनिर्मित वाद्ययंत्र बेचकर अपनी आजीविका चलाई। दशकों पहले शुरू किया गया यह छोटा सा प्रयास आज उनकी आत्मनिर्भरता और रचनात्मकता का प्रतीक बन गया है।
वर्तमान में राहुल श्रीवास अपने परिवार की मदद से लगभग 20 महिलाओं को छोटे प्रतिकृति वाद्ययंत्र बनाना सिखा रहे हैं और उन्हें रोज़गार प्रदान कर रहे हैं। वह लगभग 30,000 प्रति माह कमाते हैं और प्रतिदिन अपने साथ जुड़ी लगभग 300 महिलाओं को रोज़गार प्रदान करते हैं। वे कहते हैं, मैं आत्मनिर्भर तो हुआ ही हूँ, साथ ही अपने साथ जुड़ी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना पाया हूँ, यही सच्चा संतोष है।
एकता नगर में भारत पर्व समारोह के दौरान, राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के समन्वय से राहुल श्रीवास को एक विशेष स्टॉल आवंटित किया है, जहाँ वह अपने वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन और विक्रय कर रहे हैं। उन्होंने कहा, लोगों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी है। गुजरात सरकार के इस संगठन ने हम जैसे छोटे उद्योगपतियों को एक बड़ा मंच दिया है, जिसके लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ। देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक उनके स्टॉल पर उत्साह से आते हैं। छोटे आकार के वाद्ययंत्रों का आकर्षण सभी को मोहित कर लेता है।
राहुल श्रीवास की कला केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने का प्रतिबिंब है। बेकार पड़ी चीज़ों से कलात्मक और उपयोगी वाद्ययंत्र बनाने का उनका तरीका 'वोकल फॉर लोकल' और 'मेक इन इंडिया' के संदेश को जीवंत करता है।
एकता नगर में इस भारत पर्व-2025 के दौरान, राहुलभाई जैसे कलाकार भारत की धरती पर मौजूद हस्तशिल्प, लोक संगीत और आत्मनिर्भरता की भावना को उजागर कर रहे हैं।_____________
हिन्दुस्थान समाचार / हर्ष शाह