गुजरात के प्रसिद्ध लोक साहित्यकार पद्मश्री जोरावरसिंह जादव का निधन

07 Nov 2025 10:48:01
Famous Gujarati folk writer Padma Shri Jorawarsinh Jadav passes away


अहमदाबाद, 7 नवंबर (हि.स.)| गुजरात के लोक साहित्यकार, कथाकार, गुजरात लोककला फाउंडेशन के संस्थापक एवं संपादक पद्मश्री जोरावरसिंह जादव का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने लोक संस्कृति, लोक कला और लोक साहित्य पर आधारित लगभग 90 कृतियों का संपादन और रचना की। उनके निधन से गुजराती साहित्य जगत में शोक की लहर है।

जोरावरसिंह जादव का जन्म 10 जनवरी, 1940 को धंधुका तहेसिल के आकरू गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम दानुभाई हालुंभाई और माता का नाम पंबा था। वे पेशे से किसान थे। उनका बचपन आकरू गाँव में बीता और उनका पालन-पोषण उनकी सौतेली माँ गंगाबा ने किया।

जोरावर सिंह ने बचपन में ही लोक साहित्य और लोक कलाओं का गहन अनुभव प्राप्त कर लिया था।

उन्होंने लोक कथाओं, गीतों और लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 90 से अधिक कृतियों का संपादन और सृजन किया। उनकी प्रसिद्ध कहानियों में 'मरद कसुम्बल रंग चढ़े' और 'मरदाई माथा साटे' जैसी लोकप्रिय रचनाएँ शामिल हैं। उन्हें मेघानी सुवर्ण चंद्रक और गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

जोरावर सिंह जाधव 1964 से सरकार साप्ताहिकी, ग्रामस्वराज और जिनमंगल मासिक पत्रिकाओं के संपादन का कार्य संभाल रहे थे। उन्होंने कला को जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए पत्रिकाओं के साथ-साथ रेडियो और टेलीविजन पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन किया। उन्होंने 1978 में 'गुजरात लोक कला फाउंडेशन' नामक एक संस्था की स्थापना की जिसके माध्यम से गुजरात और राजस्थान की अशिक्षित, शोषित और खानाबदोश जातियों के लोक कलाकारों को जनता के सामने आने और अपनी अभिव्यक्ति का अवसर मिला।----

हिन्दुस्थान समाचार / हर्ष शाह

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