
बेंगलुरु, 8 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि संघ के बारे में चल रही चर्चाएं अधिकतर गलत धारणाओं पर आधारित होती हैं। संघ के बारे में कोई भी राय बनाने से पहले सटीक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।डॉ. भागवत संघ के शताब्दी वर्ष के अंतर्गत यहां आयोजित दो दिवसीय (8 एवं 9 नवंबर) व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन यहां के बनशंकरी स्थित पीईएस विश्वविद्यालय में किया गया है। कार्यक्रम के पहले दिन लगभग 1,200 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि अगर हम गलत जानकारी या सुनी-सुनाई बातों के आधार पर संघ का विश्लेषण करेंगे, तो यह अर्थ के बजाय भ्रम पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि संघ दुनिया का एक अनूठा संगठन है। इसे तुलना के ज़रिए नहीं समझा जा सकता। तुलना के आधार पर इसे समझने की कोशिश करने से केवल भ्रम ही बढ़ेगा।उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का जन्म किसी प्रतिक्रिया का परिणाम नहीं था। अधिकांश लोग सोचते हैं कि संघ का जन्म तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप हुआ था, लेकिन संघ का जन्म किसी विरोध या प्रतिक्रिया से नहीं हुआ। संगठित होना समाज की स्वाभाविक अवस्था है। संघ का जन्म इसी स्वाभाविक आवश्यकता की पूर्ति के लिए हुआ है।संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि एक जीवंत समाज एक संगठित समाज होता है। संगठन किसी के विरुद्ध नहीं होता, यह समाज की स्वाभाविक स्थिति है। भारत ने सदियों से कई आक्रमणों को झेला है। ऐसी ही पृष्ठभूमि में समाज को पुनर्गठित करने की आवश्यकता से संघ का विचार उत्पन्न हुआ।डॉ. भागवत ने बताया कि वर्ष 2018 में दिल्ली में आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने संघ की विचारधारा और कार्यपद्धति पर बात की थी। इसका उद्देश्य लोगों को समझाना नहीं, बल्कि सटीक जानकारी देना था। अब जबकि संघ ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं, तो यह व्याख्यानमाला देश के चार शहरों- दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई और कोलकाता में आयोजित की जा रही है।---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश महादेवप्पा