डॉ. रमेश कुमार पाण्डेय होंगे संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष

08 Nov 2025 15:02:01
संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार पाण्डेय की तस्वीर


कोयम्बटूर, 08 नवम्बर (हि.स.)। जन-जन तक संस्कृत को पहुंचाने और गृहं गृहं प्रति संस्कृतं के उद्देश्य को साकार कर रही संस्कृत भारती का अखिल भारतीय अधिवेशन तमिलनाडु में कोयम्बटूर के अमृता विश्वविद्यापीठ में चल रहा है। अधिवेशन के दूसरे दिन क्रीड़ोत्सव के साथ सत्रों का आरम्भ हुआ। पहले सत्र में क्षेत्रीय स्तर पर वृत्त कथनों के साथ-साथ नए अखिल भारतीय अध्यक्ष की घोषणा की गई। लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व कुलपति डॉ. रमेश कुमार पाण्डेय को संगठन का अखिल भारतीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जहां देशभर से आए प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।

डॉ. पाण्डेय मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी हैं और देश के प्रमुख संस्कृत विद्वानों में गिने जाते हैं। तीन दशक से अधिक समय से वे संस्कृत भाषा, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने न केवल शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है, बल्कि कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में नेतृत्वकारी भूमिका भी निभाई है।

संस्कृत भारती में यह नेतृत्व परिवर्तन संगठन के लिए एक नई दिशा और दृष्टि का संकेत माना जा रहा है। डॉ. पाण्डेय के मार्गदर्शन में संस्था से उम्मीद है कि वह पारंपरिक संस्कृत अध्ययन को आधुनिक युग की आवश्यकताओं से जोड़ते हुए, भाषा को जन-जन तक पहुँचाने के अपने अभियान को और गति देगी। विशेष रूप से डिजिटल माध्यमों, संभाषण शिविरों और जनजागरण अभियानों के जरिए संस्कृत को जीवन की भाषा बनाने का लक्ष्य प्रमुख रहेगा।

इससे पूर्व, संगठन का नेतृत्व प्रोफेसर गोपबन्धु मिश्र कर रहे थे, जो सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय (गुजरात) के कुलपति भी रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में संस्कृत भारती ने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रभावशाली आयोजन, संवाद शिविर और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी उपस्थिति को सुदृढ़ किया।

संस्कृत भारती के इस अधिवेशन में डॉ. रमेश कुमार पाण्डेय का कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। संगठन के लोगों का मानना है कि उनके नेतृत्व में संस्कृत भारती आने वाले वर्षों में एक संवाद से समाज तक की नई यात्रा प्रारंभ करेगी, जिससे संस्कृत केवल अध्ययन की नहीं, बल्कि जीवन की भाषा के रूप में स्थापित हो सकेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उदय कुमार सिंह

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