
-राष्ट्रीय शहरी सम्मेलन की शुरुआत, मंत्री ने शुरू किए डंपसाइट रिमेडिएशन जैसे कई कार्यक्रम
नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भारत का शहरी विकास स्थिरता, समावेशन और नवाचार पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डीआरएपी, यूआईविन और केएमयू जैसी पहलें विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साकार करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
नई दिल्ली के यशोभूमि में शनिवार को राष्ट्रीय शहरी सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री ने यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने डंपसाइट रिमेडिएशन एक्सलेरेटर कार्यक्रम (डीआरएपी), अर्बन इनवेस्ट विंडो (यूआईविन) और स्वच्छ भारत मिशन- नॉलेज मैनेजमेंट यूनिट (केएमयू) जैसे कार्यक्रम भी शुरू किए। इस दो दिवसीय सम्मेलन में नीति-निर्माताओं, शहरी योजनाकारों और विशेषज्ञों ने “सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट एंड गवर्नेंस” विषय पर विचार-विमर्श किया गया।
केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार, मनोहर लाल ने स्वच्छ भारत मिशन नॉलेज मैनेजमेंट यूनिट (केएमयू) की भी शुरुआत की, जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स में स्थापित की गई है। यह इकाई शहरी स्वच्छता मिशन के अंतर्गत क्षमता निर्माण, ज्ञान साझा करने और संस्थागत सीख के लिए एक राष्ट्रीय मंच के रूप में कार्य करेगी। इसके अलावा, अर्बन इनवेस्ट विंडो (यूआईविन) को भी शुरू किया गया, जो शहरों में निजी निवेश को आकर्षित करने और सस्ती व दीर्घकालिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में कार्य करेगी। कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने “जल ही जननी” नामक अमृत एंथम भी जारी किया, जो जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है।
मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला ने कहा कि सभी हितधारकों को “टीम अर्बन” के रूप में मिलकर काम करना होगा ताकि शहरों को अधिक सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ बनाया जा सके। पहले दिन सम्मेलन में चार तकनीकी सत्र हुए, जिनमें क्षेत्रीय नियोजन, परिवहन आधारित विकास, जीविका अवसर, गरीबी उन्मूलन तथा निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
उल्लेखनीय है कि डीआरएपी एक वर्ष की अवधि वाला मिशन मोड कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य शहरी भारत में बची हुई डंपसाइट्स की तेजी से सफाई करना है। इसके तहत 214 प्रमुख स्थलों पर प्राथमिकता दी जाएगी, जहां लगभग 80 प्रतिशत पुराना कचरा जमा है। केंद्र सरकार “लक्ष्य ज़ीरो डंपसाइट्स” के तहत शहरों को 550 रुपए प्रति टन की दर से वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। अब तक 1,048 डंपसाइट्स की सफाई पूरी हो चुकी है और लगभग 7,580 एकड़ भूमि पुनः प्राप्त की गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर